पुलिस ने अंडमान एवं निकोबार के पूर्व मुख्य सचिव जितेंद्र नारायण को सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में गुरुवार को गिरफ्तार कर लिया।
पीड़िता के वकील फटिक चंद्र दास ने कहा कि नारायण की अग्रिम जमानत याचिका एक स्थानीय अदालत द्वारा खारिज किए जाने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया।
अदालत के फैसले के तुरंत बाद पुलिसकर्मियों की एक टीम एक निजी रिसॉर्ट में पहुंची, जहां जितेंद्र नारायण ठहरे थे और भारी सुरक्षा के बीच उन्हें पुलिस लाइन लाया गया।
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के वरिष्ठ अधिकारी को गिरफ्तारी के बाद चिकित्सा जांच के लिए अस्पताल ले जाया गया।
विशेष जांच दल (एसआईटी) इस मामले में नारायण से तीन बार पूछताछ कर चुकी है। एसआईटी का गठन उन आरोपों की जांच के लिए किया गया था कि अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 21 वर्षीय एक युवती को सरकारी नौकरी का झांसा देकर मुख्य सचिव के घर ले जाया गया और फिर वहां नारायण सहित शीर्ष अधिकारियों ने उसके साथ दुष्कर्म किया।
अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम ने नारायण के घर पर 18 अक्टूबर को छापेमारी की कार्रवाई की थी जिसके बाद उन्होंने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर ट्रांजिट अग्रिम जमानत देने का अनुरोध किया था।
दिल्ली उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने उन्हें 28 अक्टूबर तक के लिए गिरफ्तारी से अंतरिम राहत दी थी। इसके बाद उन्होंने कलकत्ता उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर इस राहत की मियाद बढ़ाने का अनुरोध किया।
नारायण ने तर्क दिया कि पोर्ट ब्लेयर की अगली सर्किट पीठ 14 नवंबर से काम शुरू करेगी अत: तबतक उन्हें राहत दी जाए ताकि उन्हें अंडमान-निकोबार की अदालत के समक्ष अग्रिम जमानत की याचिका दायर करने का मौका मिल सके।