समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राज्य के पिछले विधानसभा चुनाव में बड़ी संख्या में पार्टी समर्थकों के नाम मतदाता सूची से काटे जाने के साक्ष्य सहित दस्तावेज और मीडिया की खबरों का संकलन गुरुवार को चुनाव आयोग को भेजा।
सपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने यहां बताया कि आयोग द्वारा गत 27 अक्टूबर को भेजे गये नोटिस के जवाब में पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस साल के शुरू में हुए विधानसभा चुनाव में गलत तरीके से बड़ी संख्या में पार्टी के समर्थक मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से काटे जाने का साक्ष्य ई-मेल से आयोग को भेज दिया है।
उन्होंने बताया कि इन दस्तावेजों में राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी तथा मुख्य चुनाव आयुक्त को की गयी शिकायत की छाया प्रति तथा मीडिया में आयी खबरों का संकलन शामिल है।
उन्होंने बताया कि यादव ने ईमेल में कहा है कि मतदाताओं को मतदान से वंचित करने की विभिन्न जिलों के कार्यकर्ताओं, समर्थकों, नागरिकों और मीडिया की खबरों से मिली जानकारियों की जांच की मांग की गई थी, मगर इसकी कोई जांच नहीं कराई गई।
गौरतलब है कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गत 29 सितंबर को लखनऊ में पार्टी के राष्ट्रीय अधिवेशन में चुनाव आयोग पर सत्तारूढ़ भाजपा के इशारे पर काम करने का आरोप लगाते हुए कहा था कि आयोग ने पिछले विधानसभा चुनाव में हर सीट पर यादवों और मुसलमानों के 20-20 हजार वोट हटवा दिए गए।
उन्होंने यह भी कहा था कि पूरी सरकारी मशीनरी ने मिलकर सपा को मिली हुई जीत भाजपा को दिलवाने का काम किया है।
इस पर चुनाव आयोग ने गत 27 अक्टूबर को अखिलेश यादव को नोटिस जारी की थी। आयोग ने 10 नवंबर तक यादव से सुबूत और दस्तावेज के साथ अपने आरोपों से जुड़ा जवाब मांगा था।
चौधरी ने बताया कि सपा अध्यक्ष ने जांच प्रक्रिया में पार्टी के प्रतिनिधि को भी शामिल करने की मांग की है।
उन्होंने बताया कि अखिलेश यादव ने सपा कार्यकर्ताओं, समर्थकों और आम नागरिकों की शिकायतों तथा मीडिया की खबरों का संज्ञान लेते हुए मतदाता सूची से गलत ढंग से नाम काटे जाने के बारे में बताया था।
उनका निर्वाचन आयोग की गरिमा को ठेस पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था।