मुख्य न्यायाधीश उदय उमेश ललित ने सोमवार को कहा कि वह अपने वादों को कुछ हद तक पूरा करने में सफल रहे जिनमें हर समय कम से कम एक संविधान पीठ को क्रियाशील बनाना, सुनवाई प्रणाली को सुव्यवस्थित करना और उच्चतम न्यायालय में लंबित मामलों को कम करना शामिल है।
सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) द्वारा आयोजित विदाई समारोह में न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि जिस दिन से उन्होंने मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभाला, शीर्ष अदालत में 10,000 से अधिक मामलों का निपटारा किया गया और लंबित पड़ीं अतिरिक्त 13,000 दोषपूर्ण याचिकाओं का भी निस्तारण किया गया।
उन्होंने कहा कि आज आपके सामने मुझे वे वादे याद हैं जो मैंने भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदभार संभालने के दौरान किए थे।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि मैंने कहा था कि मैं सूचीबद्ध करने की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने की कोशिश करूंगा, मैं देखूंगा कि कम से कम एक संवैधानिक पीठ पूरी तरह से काम कर रही हो और नियमित मामलों को जल्द एक तारीख मिले।
मुझे यह कहना होगा कि एक हद तक मैं उन वादों को पूरा करने में सफल रहा हूं।
न्यायमूर्ति ललित ने कहा कि जिस दिन उन्होंने मुख्य न्यायाधीश पद की शपथ ली थी, उन्होंने अन्य सभी न्यायमूर्ति के साथ एक पूर्ण अदालत की बैठक की थी और उन्होंने 34 स्वीकृत पद के मुकाबले 30 न्यायमूर्ति के साथ शुरुआत की थी।
उन्होंने कहा कि आज हम 28 हैं, कल हम 27 हो सकते हैं।
इसलिए मैंने सिर्फ 30 को संख्या 5 से विभाजित किया और कहा कि छह संविधान पीठ संभव हैं, एक से छह तक, हमने तय किया कि सभी 30 न्यायमूर्ति किसी न किसी संविधान पीठ का हिस्सा होंगे और कम से कम संभव समय में हम छह पीठों को चालू कर सकते हैं।
न्यायमूर्ति ललित 27 अगस्त को 49वें मुख्य न्यायाधीश बने थे। उन्होंने कहा कि मैंने यही सोचा था कि इस अदालत में हमें हर समय कम से कम एक संविधान पीठ का काम करना होगा और मुझे कहना होगा कि एक विशेष दिन अदालतों में एक साथ तीन संविधान पीठें एक साथ काम कर रही थीं और तभी हमने लाइव स्ट्रीमिंग कार्यप्रणाली शुरू की।