सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक- छत्तीसगढ़): धमतरी- शहर में काफी लंबे समय से आवारा मवेशियों ने राहगीरों का जीना मुहाल कर रखा है।
शहर की मुख्य सड़कों के अलावा अंदर की गलियों व मोहल्लों में भी आवारा मवेशियों के जमावड़े आसानी से देखे जा सकते हैं।
इन मवेशियों के सड़कों व गलियों में बेतरतीब जमावड़े से रोजाना बहुत सी दुर्घटनाएं भी हो रही है।
ऐसी ही एक दुर्घटना शहर के जालमपुर वार्ड में शुक्रवार शाम देखने मिली जहां इमरान अली पिता वाहिद अली उम्र 11 वर्ष निवासी जालमपुर वार्ड अपने घर के सामने साइकिल चला रहा था, तभी आवारा मवेशियों के झुंड से एक मवेशी ने इमरान को उठा कर पटक दिया, जिससे इमरान वहीं बेहोश हो गया।
आनन फानन में वार्डवासी उसे लेकर एक निजी अस्पताल पहुंचे जहां जांच पश्चात पता चला कि मासूम इमरान के पैर की हड्डी 2 टुकड़े हो गई।
ऐसी घटनाएं शहर में आम हो चुकी हैं, रोजाना किसी न किसी रोड पर आवारा मवेशी राहगीरों, निवासियों के लिए बड़ी समस्या बन चुके है। जिस ओर जिम्मेदारों का ध्यान बिल्कुल भी नही जा रहा।
निगम की कार्यवाही….?
मालूम हो कि सड़कों में आवारा मवेशियों से होने वाली समस्याओं व हादसों को लेकर लगभग हर समाचार पत्र व चैनलों में खबरें चलाई जाती रही हैं, लेकिन इस ओर सख्त कदम आज तक नही उठाए गए, जिम्मेदार सिर्फ अपना फरमान लोगों के बीच पहुंचा कर इस गंभीर मुद्दे से नजरें फेर लेते है।
साल भर में 2-4 बार जनता को दिखाने के लिए कुछ मवेशियों की धर पकड़ की जाती है, बाकी समय कहां है इन जिम्मेदारों के पास? आप खुद करें अपनी सुरक्षा!
यातायात के लिए भी चुनौती…
जैसा कि आपने ऊपर पढ़ा कि आवारा मवेशियों का अड्डा शहर की सड़कें बन चुकी हैं जिससे न सिर्फ आम नागरिक ही परेशान है, बल्कि यातायात विभाग के लिए भी ये समस्या सिर दर्द बन चुकी है।
रोजाना किसी न किसी सड़क पर इन आवारा मवेशियों को खदेड़ते आपको यातायात कर्मी भी दिख जायेंगे। ये उन कर्मियों का काम नहीं है! लेकिन वे अपनी जिम्मेदारी मतलब बेहतर यातायात व्यवस्था उपलब्ध कराने कभी चरवाहे के रूप में भी नजर आ जाते हैं।
फसलों की बर्बादी…
पशु पालकों द्वारा मवेशियों को खुला छोड़ने का एक बड़ा खामियाजा कृषि करने वालों को भुगतना पड़ता है, चारे की तलाश में पशु बड़ी संख्या में खेतों में घुस कर फसलों को नुकसान पहुंचाते है, वहीं बहुत से जानवर खेतों में पड़े कीटनाशक खाने की वजह से बीमार भी हो जाते हैं, लेकिन इसका भी कोई खास असर पशुपालकों पर नही पड़ा रहा।
पशुपालक हैं असली जिम्मेदार…
सड़कों में बैठे मवेशी के किसी वाहन से दुर्घटना ग्रस्त हो जाने पर इन पशुओं के मालिकों को देखिए, कैसे सारा शहर सर पे उठा लेते हैं, लेकिन उनके जानवरों से किसी राहगीर को चाहे कुछ भी हो जाए, उनके मुंह में दही जम जाता है, जबकि पशुओं से सड़कों में होने वाली घटनाओं के असली जिम्मेदार उन पशुओं के मालिक है। सड़कें वाहनों के लिए बनीं हैं न कि जानवरों के लिए।