कहा -एक लाख में नहीं होगा बाबू ! 2 लाख दूंगा, जब सिरा जाहि तब फेर आबे।
मुख्यमंत्री ने अभिभावक की तरह किया शिवेंद्र की पढ़ाई खर्च का आंकलन, डॉक्टर बनकर जरूरतमंदों की सेवा करने शिवेंद्र को मुख्यमंत्री ने दी सीख।
गुरुर भेंट मुलाकात कार्यक्रम में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के उदार और संवेदनशील मन की झलक एक बार फिर दिखाई पड़ी।
असल में हुआ यह कि भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्र शिवेंद्र साहू ने मुख्यमंत्री को बताया कि उसका दाखिला इस वर्ष एमबीबीएस फर्स्ट ईयर में होने वाला है।
संभवत उसे रायपुर या जगदलपुर का कॉलेज मिलेगा। शिवेंद्र ने मुख्यमंत्री को बताया कि उसका लालन-पालन उसके नानाजी ने किया है जिनकी दो बार हार्ट सर्जरी हो चुकी है और शिवेंद्र की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है।
उसने मुख्यमंत्री से एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए सालाना 1 लाख की मदद की गुहार लगाई।
इस पर मुख्यमंत्री ने शिवेंद्र से पूछा कि क्या 1 लाख की राशि एमबीबीएस की सालाना पढ़ाई के लिए पर्याप्त है? शिवेंद्र ने कहा कि एक लाख में हो जाएगा।
मगर मुख्यमंत्री ने एक अभिभावक की तरह बच्चे की पढ़ाई के सारे खर्च की गणना खुद की और उसे समझाते हुए कहा की – 1 लाख में नहीं होगा बाबू ! दो लाख दूंगा, जब सिरा जाहि तब फेर आबे।
मुख्यमंत्री ने शिवेंद्र से उसकी पढ़ाई का खर्च और साथ ही साथ हॉस्टल फीस तथा कॉपी किताब के खर्च का पूरा ब्यौरा लिया।
इन सब खर्चों को मिलाकर कुल राशि 1 लाख से ज्यादा हो रही थी। इस पर मुख्यमंत्री ने बालक शिवेंद्र के प्रति अपनी संवेदनशीलता दिखाते हुए उसे 2 लाख देने की बात कही।
साथ ही मुख्यमंत्री ने शिवेंद्र को एमबीबीएस करके जरूरतमंदों की सेवा करने की सीख भी दी।