नामीबिया से भारत पहुंचने से पहले ही चीतों पर राजनीति शुरू हो गई है।
शुक्रवार को कांग्रेस पार्टी ने दावा किया कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के प्रस्ताव को मनमोहन सिंह की सरकार के शासनकाल में स्वीकृति मिली थी।
कांग्रेस पार्टी की ओर से यह दावा तब किया गया है जब एक दिन बाद शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में चीतों को छोड़ेंगे। शनिवार को पीएम मोदी का जन्मदिन भी है।
पार्टी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल के जरिए ट्वीट किया, ‘प्रोजेक्ट चीता का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ। मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी।
अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए।’ आगे कहा, 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी। अब चीते आएंगे’
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने गुरुवार को एक बयान जारी कर कहा कि कुनो राष्ट्रीय उद्यान में प्रधानमंत्री द्वारा जंगली चीतों को रहने के लिए मुक्त किया जाना भारत के वन्य जीवन और वन्य जीवों के आवास को पुनर्जीवित करने एवं इसमें विविधता लाने के उनके प्रयासों का हिस्सा है।
बता दें कि भारत सरकार ने 1952 में देश में चीतों को विलुप्त करार दे दिया था।
छत्तीसगढ़ में आखिरी बार देखा गया था चीता
छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में 1948 में आखिरी बार चीता देखा गया था। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने शुक्रवार को कहा कि अत्यधिक शिकार के कारण देश में विलुप्त हो चुके चीते को वापस लाकर भारत पारिस्थितिकी असंतुलन को दूर कर रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि पांच मादा और तीन नर चीतों को नामीबिया की राजधानी विंडहोक से विशेष मालवाहक विमान बोइंग 747-400 के जरिए ग्वालियर हवाई अड्डे पर लाया जाएगा। पहले इन चीतों को जयपुर लाया जाना था।
खाली पेट लाए जाएंगे
नामीबिया से भारत लाए जाते समय इन चीतों को खाली पेट रखा जाएगा। भारतीय वन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को बताया था कि चीतों को हवाई यात्रा के दौरान खाली पेट रहना होगा।
लंबी दूरी की यात्रा में यह एहतियात बरतना आवश्यक है क्योंकि इससे पशुओं को मिचली जैसी दिक्कत हो सकती है, जिससे अन्य समस्याएं भी पैदा होने की आशंका है।