रूस ने यूक्रेन पर 24 फरवरी को हमला किया था।
उस हमले के बाद से पूरा दुनिया में बहुत कुछ बदल चुका है लेकिन यूक्रेन युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है।
हालांकि अब ऐसा प्रतीत हो रहा है कि यूक्रेन भी रूस पर पहले से ज्यादा हमलावर हो गया है। यूक्रेन ने रूस को खदेड़ना शुरू कर दिया है।
हाल ही में रूस ने यूक्रेन के एक गांव से जल्दबाजी में भागने का फैसला किया। दरअसल यूक्रेन के हर्कोव में बहुत कुछ नहीं बचा है।
यहां स्थित घर और दुकानें खंडहर में तब्दील हो गए हैं। यहां बना स्कूल बम हमले में तबाही के बाद मात्र एक ढांचा रह गया है।
चर्च रॉकेट और गोलों से क्षतिग्रस्त हो चुका है, लेकिन विस्फोट से क्षतिग्रस्त घंटाघर के ऊपर का सुनहरा गुंबद शनै:-शनै: बीतती शरद ऋतु की रोशनी में अब भी चमक रहा है।
निवासी अनातोली क्लेज़ेन के अनुसार, यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर खारकीव के दक्षिण-पूर्व में स्थित इस छोटे से गांव में तहखाने और जर्जर इमारतों में रहने वाले केवल 30 लोग ही बचे हैं।
फरवरी में जब रूसी सैनिकों ने हमला किया था और सीमा से प्रवेश करके इस पर कब्जा कर लिया था तब लगभग 1,000 लोग यहां रहते थे।
लेकिन रूसी सैनिक नौ सितंबर के आसपास हर्कोव को छोड़कर पीछे हट गये थे, क्योंकि यूक्रेनी सैनिकों ने त्वरित जवाबी हमला किया था।
संभव है यह युद्ध का एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है, जिससे पूर्वी इलकों और अन्य जगहों पर यूक्रेनी सैनिकों के लिए बढिया मंच तैयार हो सकता है, लेकिन यह रूस को अधिक हिंसक होने के लिए मजबूर कर सकता है, जिससे युद्ध में एक नया और खतरनाक मोड़ आ सकता है।
इस बात के कोई संकेत नहीं थे कि रूसी सैनिक लौटने वाले थे। इकहत्तर वर्षीय वियाचेस्लाव मायरोनेंको ने कहा, ‘‘कोई भी कुछ नहीं जानता था।
वे बहुत शांति से चले गए।’’ मायरोनेंको चार महीने से अधिक समय से तीन पड़ोसियों के साथ बम से तबाह अपार्टमेंट की इमारत के तहखाने में रह रहे थे।
युद्धक्षेत्र से लौटती सेना के अवशेष अब भी गांव में यत्र-तत्र पड़े दिख रहे हैं, जैसे- रूसी सेना के भोजन के खाली पैकेट, इस्तेमाल करने के निर्देशों के साथ हथगोले के परित्यक्त बक्से, एक पेड़ पर लटका एक गैस मास्क और कीचड़ में सनी रूसी सैनिक की एक जैकेट।
बस स्टॉप के पास गांव के बाहर, एक रूसी तोप को सड़क पर जंग खाते देखा जा सकता है। क्लेजेन ने कहा, ‘‘इससे पहले, गांव वास्तव में सुंदर दिखता था।’’
क्लेजेन ने अपनी इमारत के तहखाने में 45 दिन बिताए थे, जबकि रूसी सैनिकों ने दूसरी मंजिल पर उसके अपार्टमेंट पर कब्जा कर लिया था।
इसके बावजूद वह अंततः भागने में सफल रहे थे। हालांकि उनका अपार्टमेंट तबाह हो चुका है।
पैंतालीस वर्षीय क्लेजेन ने मंगलवार को कहा, ‘‘मुझे लगा कि मैं घर पर भी मर सकता हूं और चौकी पर भी।’’ लेकिन वह बच निकला और हर्कोव के मुक्त होने के बाद वापस लौट आया।
गांव पर फिर से कब्जा लेने के बाद यूक्रेनी अधिकारियों ने रूसी सैन्य वाहनों को हटा दिया और दो लोगों के शव कब्र से निकाले, जिन्हें सिर में गोली लगने के बाद एक सड़क के किनारे दफनाया गया था।
उनका मानना है कि मृतक यूक्रेनी सैनिक थे, लेकिन वह अब भी पूरी तरह आश्वस्त नहीं हैं।