पाकिस्तान इन दिनों काफी ज्यादा मुश्किलों से जूझ रहा है।
पहले ही आर्थिक परेशानी और तालिबान से जूझ रहे पाकिस्तान की बाढ़ ने हालत खराब कर दी है।
इसके चलते यहां पर करीब तीन करोड़ आबादी प्रभावित है, पिछले कुछ हफ्तों में बाढ़ ने बलूचिस्तान, खैबर पख्तूनवा और सिंध प्रांत में जमकर तबाही मचाई है।
सोशल मीडिया पर जो वीडियो सामने आए हैं, उसमें तमाम लोग परेशान हाल में मदद का इंतजार करते देखे जा सकते हैं। पाकिस्तान से जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक अभी तक यहां 1000 लोग बाढ़ से जान गंवा चुके हैं।
वहीं 1500 से ज्यादा लोग घायल हो गए हैं। इन सबके बीच डर है कि कहीं पाकिस्तान की हालत भी श्रीलंका जैसी न हो जाए उधर पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सामने राहत कार्य के लिए पैसे जुटाने की चुनौती सामने आ रही है।
आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे पाकिस्तान ने आईएमएफ से बेलआउट पैकेज के लिए गुहार लगाई है।
मदद के बदले आईएमएफ ने रखी हैं कड़ी शर्तें
आईएमएफ ने पाकिस्तान को 4 बिलियन डॉलर देने पर सहमति जताई है। लेकिन इसके साथ ही उसने पाकिस्तान को ढेर सारे सुधारों के लिए भी कहा है। आईएमएफ ने कहा है कि पाकिस्तान एक चुनौतीपूर्ण आर्थिक हालात से जूझ रहा है।
लेकिन उसने मजबूत गवर्नेंस, भ्रष्ट्रचार से उबरने के लिए तमाम उपाय और पॉवर सेक्टर में तेजी के साथ सुधार के लिए कहा है। वहीं आईएमएफ से मीटिंग से पहले पाकिस्तान दूसरे अन्य स्रोतों से पैसे जुटाने में लगा है।
जानकारी के मुताबिक इसके तहत लोन व अन्य तरीकों से वह 37 बिलियन डॉलर जुटाने के करीब पहुंचा है। बताया जाता है कि इन पैसों की मदद से पाकिस्तान खुद को उबारने में जुटा है, ताकि उसे श्रीलंका जैसे हालात का सामना न करना पड़े।
टीटीपी भी बना हुआ है सिरदर्द
इन सबके बीच पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के सामने हालात बेहद चुनौतीपूर्ण हैं। इन दिनों पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान एक खास कैंपेन चला रहे हैं। अप्रैल में अविश्वास प्रस्ताव गंवाने के बाद इमरान वापसी की कोशिश में लगे हुए हैं।
ऐसे में शाहबाज शरीफ सुधार के लिए कोई कड़ा कदम भी नहीं उठा सकते हैं। इन सारी परेशानियों के बीच पाकिस्तान सरकार और तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के बीच निगोसिएशन प्रॉसेस है। टीटीपी ने अफगान तालिबान से सीक्रेट बातचीत के लिए जून में तीन महीने का सीजफायर घोषित किया है।
वहीं पाकिस्तान के लिए परेशानी की बात यह है कि अफगान तालिबान के दबाव के बावजूद टीटीपी अपने हमले बंद नहीं कर रहा है। इसके चलते एक साल पहले काबुल में तालिबान शासन की स्थापना के बाद से अब तक पाकिस्तानी सेना के दर्जनों जवान मारे जा चुके हैं।