तेलंगाना के नागरकुरनूल जिले में शनिवार को एक सुरंग की छत ढहने के बाद राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) बचाव अभियान में शामिल हो गए हैं।
आठ श्रमिक अभी भी इसके अंदर फंसे हुए हैं।
इसके अलावा, सेना ने भी बचाव कार्यों के लिए अपने इंजीनियर टास्क फोर्स (ईटीएफ) को तेजी से तैनात किया है।
अधिकारियों ने बताया कि आधुनिक तकनीक से लैस ईटीएफ दुर्घटना स्थल पर मानवीय सहायता और आपदा राहत (एचएडीआर) अभियान चला रहा है।
तेलंगाना के सिंचाई मंत्री एन. उत्तम कुमार रेड्डी ने यहां से लगभग 150 किलोमीटर दूर नागरकुरनूल जिले में दुर्घटना स्थल पर संवाददाताओं को बताया कि राज्य सरकार विशेषज्ञों की मदद ले रही है, जिनमें पिछले साल उत्तराखंड में इसी तरह की घटना में फंसे श्रमिकों को बचाने वाले लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, सरकार सेना और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की भी मदद ले रही है।
फंसे हुए लोगों में से दो व्यक्ति इंजीनियर और दो ऑपरेटर हैं। चार अन्य मजदूर हैं। ये सभी उत्तर प्रदेश, झारखंड, पंजाब और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। सूत्रों ने बताया कि फंसे हुए लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरंग में ताजा हवा पहुंचाई जा रही है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए. रेवंत रेड्डी को फोन कर घटना की जानकारी ली और बचाव अभियान के लिए केंद्र की ओर से हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें घटनास्थल पर पहुंच गई हैं और सेना का एक दल वहां पहुंच रहा है।
हाल ही में निर्माण कार्य फिर से शुरू होने के बाद, शनिवार सुबह पहली पाली में 50 लोग 200 मीटर लंबी सुरंग बोरिंग मशीन लेकर सुरंग के अंदर गए।
अधिकारी ने बताया, “कार्य के सिलसिले में वे सुरंग के अंदर 13.5 किलोमीटर तक गए थे, तभी अचानक छत ढह गई। मशीन के आगे चल रहे दो इंजीनियरों समेत आठ सदस्य फंस गए, जबकि 42 अन्य सुरंग के बाहरी गेट की ओर भागे और बाहर आ गए।” उन्होंने कहा कि विशेषज्ञों की मदद से उन्हें बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं। अधिकारी ने कहा, “पानी निकालने की प्रक्रिया जारी है…यह एक सतत प्रक्रिया है जो जटिल है।”
ये कर्मी सुरंग के 14 किलोमीटर अंदर फंसे हुए हैं। मंत्री ने कहा कि उन्होंने एक तेज आवाज भी सुनी और उन्हें सुरंग के बाहर कुछ “भूगर्भीय हलचल” महसूस हुई। उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा, “हमारी सरकार उन आठ लोगों की जान बचाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। हमने उत्तराखंड की घटना में लोगों को बचाने में शामिल विशेषज्ञों से भी बात की है।”
मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) की ओर से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने प्रधानमंत्री को स्थिति से अवगत कराया तथा बताया कि फंसे हुए लोगों को बचाने के प्रयास जारी हैं।
विज्ञप्ति के मुताबिक रेड्डी ने यह भी बताया कि राज्य के मंत्री उत्तम कुमार रेड्डी और जुपल्ली कृष्ण राव घटनास्थल पर मौजूद हैं और बचाव कार्यों की देखरेख कर रहे हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुरंग में प्रवेश करने वाली टीमों का मार्गदर्शन करने के लिए ड्रोन तैनात किए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि सुरंग के अंदर 13 किलोमीटर तक रास्ता साफ है, और सुरंग के 14 किलोमीटर पर ढांचा ढह गया है। हालांकि, उन्होंने बताया कि बचाव दल सुरंग की समग्र स्थिति को लेकर आशंकित हैं।
सूत्रों ने बताया, “घटनास्थल पर बहुत सारा मलबा जमा हो गया है, इसलिए बचाव दल आगे बढ़ने और किसी भी संभावित खतरे का पता लगाने के लिए ड्रोन का उपयोग कर रहे हैं। बचाव अभियान पूरी रात जारी रहेगा।” सूत्रों ने बताया कि टीमें अंदर जाने से हिचकिचा रही हैं, क्योंकि अंदर से अभी भी तेज आवाजें आ रही हैं।
उत्तम कुमार रेड्डी ने कहा कि नलगोंडा जिले में चार लाख एकड़ भूमि की सिंचाई के लिए श्रीशैलम परियोजना के तहत पानी की व्यवस्था के लिए “दुनिया की सबसे लंबी 44 किलोमीटर लंबी सुरंग” पर काम शुरू हुआ है। उन्होंने कहा कि 44 किलोमीटर में से करीब 9.50 किलोमीटर पर काम होना बाकी है।
इससे पहले, सरकारी स्वामित्व वाली ‘सिंगरेनी कोलियरीज कंपनी लिमिटेड’ (एससीसीएल) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एन बलराम ने बताया कि कोयला खननकर्ताओं के 19 विशेषज्ञों की एक टीम भी बचाव अभियान में शामिल होने के लिए घटनास्थल के लिए रवाना हो गई है। ब
लराम के अनुसार, एससीसीएल के पास ऐसी घटनाओं में लोगों को बचाने की विशेषज्ञता है और उसके पास आवश्यक उपकरण भी हैं। कंपनी की बचाव टीम का नेतृत्व महाप्रबंधक स्तर के अधिकारी कर रहे हैं।
सरकार ने कहा कि मुख्यमंत्री रेड्डी लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और उन्होंने अधिकारियों को फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए बचाव अभियान में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।
केंद्रीय कोयला मंत्री जी किशन रेड्डी ने दुर्घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए अधिकारियों से कहा कि वे फंसे हुए लोगों को सुरक्षित बाहर निकालें। उनके कार्यालय से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि उन्होंने अधिकारियों से घायलों को उपचार उपलब्ध कराने को भी कहा।