भारतीय मूल के काश पटेल आज फेडरल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (FBI) के नए डायरेक्टर बन सकते हैं।
उनके नाम को अंतिम मंजूरी देने के लिए आज सीनेट में वोटिंग होने वाली है।
इसके साथ ही 44 वर्षीय पटेल एफबीआई का नेतृत्व करने वाले पहले भारतीय-अमेरिकी बन जाएंगे। काश पटेल ट्रंप के प्रबल समर्थक माने जाते हैं।
उनका रक्षा और खुफिया सेवाओं में लंबा अनुभव रहा है। पटेल ने 2017 में तत्कालीन ट्रंप प्रशासन के अंतिम कुछ हफ्तों में अमेरिका के कार्यवाहक रक्षा मंत्री के ‘चीफ ऑफ स्टाफ’ के रूप में काम किया था।
काश पटेल का नाम पिछले साल नवंबर में तब सुर्खियों में आया था, जब डोनाल्ड ट्रंप ने उन्हें एफबीआई निदेशक पद के लिए नामित करने की घोषणा की थी।
सीनेट में रिपब्लिकन बहुमत के कारण उनकी नियुक्ति लगभग तय मानी जा रही है, हालांकि डेमोक्रेट्स ने इसका कड़ा विरोध किया है।
डेमोक्रेट्स का तर्क है कि पटेल की ट्रंप के प्रति वफादारी एफबीआई की निष्पक्षता और स्वतंत्रता को खतरे में डाल सकती है।
पटेल एफबीआई के पहले हिंदू और भारतीय-अमेरिकी निदेशक होंगे। न्यूयॉर्क में जन्मे काश पटेल का परिवार मूल रूप से गुजरात के वडोदरा से है।
हालांकि उनकी मां पूर्वी अफ्रीका में तंजानिया से और पिता युगांडा से हैं। वह 1970 में कनाडा से अमेरिका आ गए थे।
पटेल ने पूर्व में एक इंटरव्यू में कहा था, ‘‘हम गुजराती हैं।’’ पटेल ने कानून की पढ़ाई पूरी करने के बाद पब्लिक डिफेंडर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी।
ट्रंप प्रशासन में उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, रक्षा विभाग और हाउस इंटेलिजेंस कमेटी में अहम भूमिकाएं निभाईं। वह आतंकी संगठन आईएसआईएस और अल-कायदा के खिलाफ कार्रवाइयों में भी शामिल रहे हैं।
सीनेट की न्यायपालिका संबंधी समिति के सदस्यों के समक्ष सुनवाई के दौरान काश पटेल ने बताया था कि उनके पिता युगांडा में ईदी अमीन की तानाशाही से बचकर भागे थे, जहां 3,00,000 पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को उनकी जातीयता के आधार पर मार डाला गया था।
उन्होंने कहा, “मेरी मां मूल रूप से तंजानिया की हैं। उन्होंने भारत में पढ़ाई की, मेरे पिता ने भी वहीं पढ़ाई की और उनकी शादी भी वहीं हुई।
वे बाद में न्यूयॉर्क चले आए, जहां मेरा जन्म हुआ और मैं पला-बढ़ा। परिवार में मेरे पिता के सात भाई-बहन भी रहते थे, जिनके पति/पत्नी और कम से कम दर्जन भर बच्चे थे।”
डेमोक्रेट्स की आपत्तियां
पटेल की नियुक्ति को लेकर डेमोक्रेट्स ने सवाल उठाए हैं। उनका मानना है कि एफबीआई जैसे स्वतंत्र एजेंसी के प्रमुख पद पर किसी ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति जो राष्ट्रपति ट्रंप के करीबी हैं, ब्यूरो की निष्पक्षता पर सवाल खड़े कर सकता है।
हालांकि, रिपब्लिकन नेताओं ने उनकी नियुक्ति का समर्थन किया और इसे एफबीआई के सुधार की दिशा में एक बड़ा कदम बताया।
अब, काश पटेल के सामने चुनौती होगी कि वे एफबीआई की निष्पक्षता को बनाए रखते हुए अपने नेतृत्व को मजबूत करें और जनता का विश्वास बनाए रखें।