खुले मंच से सनातन धर्म के विरोध के बाद अब तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन के निशाने पर हिंदी भाषा है।
उन्होंने चेतावनी दी है कि हिंदी की वजह से तमिल भाषा खत्म हो सकती है।
इस दौरान उन्होंने फंड के मुद्दे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्र सरकार पर सवाल उठाए हैं। 2023 में स्टालिन ने सनातन धर्म की तुलना कोविड जैसी बीमारियों से की थी।
मंगलवार को राजधानी चेन्नई में विपक्षी गठबंधन INDIA के दलों ने केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान स्टालिन ने कहा, ‘हिंदी ने उत्तर में राज्यों की स्थानीय भाषा जैसे राजस्थानी, हरियाणवी, भोजपुरी और अन्य बिहारी भाषाओं को खत्म कर दिया है और प्रमुख स्थानीय भाषा बन गई है। अगर तमिलनाडु में इसे लागू किया गया, तो यहां भी ऐसा ही होगा।’
उन्होंने कहा, ‘विदेश और ISRO जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में काम कर रहे लगभग 90 फीसदी तमिल ऐसे स्कूलों में थे, जहां हिंदी नहीं पढ़ाई जाती।’ उन्होंने कहा कि बीते 100 सालों में शिक्षा और हिंदी लागू करने के मुद्दे पर तमिलनाडु में बड़े प्रदर्शन हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘थलमुथु, नटराजन और कीझपालुर चिन्नास्वामी जैसे शहीदों ने राजनीति नहीं, बल्कि तमिल के लिए अपनी जान गंवा दी। हमारी भाषा के लिए जान देने के लिए हजारों लोग तैयार हैं।’
इस दौरान उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर राज्य को फंड मिलना बंद होता है, तो राज्य स्तर पर विरोध शुरू होगा।
विरोध प्रदर्शन में शामिल वीसीके के अध्यक्ष तोल तिरुमवलावन का कहना है कि भाजपा हिंदी इसलिए इसलिए थोप रही है, क्योंकि वह ‘एक राष्ट्र एक भाषा’ की नीति लागू करना चाहती है, ताकि हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाया जा सके।
सनातन धर्म पर सवाल
सितंबर 2023 में एक कार्यक्रम के दौरान उदयनिधि स्टालिन ने कहा था कि कुछ चीजें हैं, जिनका विरोध नहीं किया जा सकता और उखाड़ना ही पड़ता है।
उन्होंने कहा था, ‘जैसे डेंगू, मच्छरों, मलेरिया या कोरोनावायरस को खत्म करने की जरूरत है, वैसे ही हमें सनातन को उखाड़ फेंकना होगा।’