अब तक तेल की बादशाहत के दम पर अपनी अर्थव्यवस्था चलाने वाला सऊदी अरब अब खुद को बदलने के मिशन पर निकल चुका है।
सऊदी सरकार करीब 1 ट्रिलियन डॉलर यानी 83 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की भारी-भरकम रकम सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स में झोंकने की तैयारी हो रही है। इसका मकसद तेल पर निर्भरता कम करना और निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना।
गल्फ न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक, रियाद में पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड प्राइवेट सेक्टर फोरम में बोलते हुए सऊदी अरब के इकॉनमी एंड प्लानिंग मिनिस्टर फैसल अल इब्राहिम ने इस जबरदस्त निवेश की घोषणा की।
उनका कहना था कि आने वाले कुछ सालों में सऊदी का नॉन-ऑयल सेक्टर जबरदस्त तरीके से आगे बढ़ने वाला है, जिसमें 2026 तक खासतौर पर तेजी देखने को मिलेगी।
उन्होंने बताया कि पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड सिर्फ एक वित्तीय निवेश का जरिया नहीं, बल्कि देश की नई इंडस्ट्रीज खड़ी करने और अर्थव्यवस्था को आकार देने में अहम भूमिका निभा रहा है।
तेल से आगे की दुनिया बसाने का सपना
सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था दशकों से तेल की कमाई पर टिकी हुई थी, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। विजन 2030 के तहत तेल पर निर्भरता घटाकर हाई-टेक और इनोवेटिव बिजनेस मॉडल्स पर फोकस किया जा रहा है।
अल इब्राहिम ने साफ कहा कि सऊदी अपनी इकोनॉमी को ट्रांसफॉर्म कर रहा है, सिर्फ एक छोटे बदलाव की बात नहीं हो रही, बल्कि पूरी व्यवस्था बदली जा रही है।
नई इंडस्ट्रीज पर जोर
पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड न सिर्फ नए बिजनेस खड़ा कर रहा है, बल्कि सऊदी के नौजवानों को भी नए जमाने की इंडस्ट्रीज के लिए तैयार कर रहा है।
अल इब्राहिम के मुताबिक, देश को आगे बढ़ाने के लिए नॉलेज इकोनॉमी यानी टेक्नोलॉजी और स्किल्स पर आधारित सिस्टम खड़ा करना जरूरी है, और इसी दिशा में अरबों-खरबों का निवेश किया जा रहा है।
2030 का सऊदी अरब कैसा दिखेगा?
अब सवाल है कि इस मेगा इन्वेस्टमेंट के बाद सऊदी अरब का भविष्य कैसा होगा? तो बता दें इससे तेल पर निर्भरता घटेगी, नए सेक्टर्स में बूम आएगा, विदेशी निवेश बढ़ेगा और रोजगार के नए मौके बनेंगे।
सऊदी अब खुद को मिडिल ईस्ट का टेक्नोलॉजी और बिजनेस हब बनाना चाहता है, ताकि दुनिया उसे सिर्फ ‘तेल का बादशाह’ न माने, बल्कि ग्लोबल इकॉनमी में एक मजबूत प्लेयर के रूप में देखे।