सरकार से क्या मांग है? जो मेरे साथ घट गया किसी और के साथ ना घटे।
यह कहते हुए एक भाई के आंखें डबडबा आईं। ना मुआवजे की मांग और ना ही किसी पर एक्शन की गुहार।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में बहन को खोने वाले भाई को बस फिक्र है उन तमाम लोगों की जो इस तरह की अप्रत्याशित दुर्घटनाओं का शिकार हो जाते हैं।
जांच की जाती है, मुकदमा चलाया जाता है और तबतक नई-नई खबरें पुराने दर्द की खाई को पाटती चली जाती हैं। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि वह परिवार के 12 लोगों के साथ महाकुंभ जाने के लिए नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पहुंचे थे। इस हादसे में उनकी बहन की मौत हो गई।
युवक ने कहा, रात को 10 बजकर 10 मिनट की ट्रेन थी। लेकिन हम लोग प्लैटफॉर्म तक पहुंच ही नहीं पाए। पहली ही बहुत भीड़ थी। हम सीढ़ियों से उतर रहे थे तभी भीड़ आई।
भीड़ में जो लोग आगे गिरे वे दबते चले गए। भीड़ बहुत ज्यादा थी। मैं तो दो मिनट पहले ही सीढ़ी से नीचे उतरा था। मेरे छोटे वाले भाई की वाइफ और छोटी बेटी फंस गई।
उनको तो निकाल लिया लेकिन मेरी बहन आधे घंटे बाद मिली। तब तक वह मर चुकी थी। हमने एक घंटे उसे प्रेस किया और माउथ टु माउथ सांस दी।एक घंटे तक कोई नहीं आया।
उन्होंने कहा कि एक पटरी से दूसरी पटरी होते हुए उसे लेकर बाहर जाना पड़ा। चारों ओर भीड़ थी। सब हाथ मल रहे थे। वहां कोई पुलिस या प्रशासन नहीं आया। सरकार से मांग को लेकर उन्होंने भावुक होकर कहा, सरकार से यही मांग है कि जो मेरे साथ घट गया वह किसी के साथ ना घटे।
मुआवजे का कुछ पता नहीं। बता दें कि शनिवार देर रात नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर महाकुंभ जाने वाले यात्रियों के बेतहाशा भीड़ हो गई। रात में स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा रही थीं। ऐसे में बड़ी संख्या में लोग स्टेशन पर पहुंचे थे।
रिपोर्ट्स के मुताबिक स्पेशल ट्रेन के प्लैटफॉर्म में परिवर्तन किया गया और फिर अफरा-तफरी मच गई। बहुत सारे लोगों को टिकट भी नहीं मिल पाया था।
इसके बावजूद वे प्लैटफॉर्म पर पहुंच गए थे। ज्यादा भीड़ होने की वजह से सीढ़ियों से लेकर फुटओवर ब्रिज तक भीड़ जमा हो गई।
इतने में ही रेला आया और सीढ़ियों से लोग गिरने लगे। इस दुर्घटना में कम से कम 18 लोगों की मौत हो गई है जिनमें तीन बच्चे भी शामिल हैं। केंद्र सरकार ने मृतकों के परिजनों के लिए 10 लाख के मुआवजे का ऐलान किया है।