अमेरिका, चीन और यूरोप के कई देशों के नेता जर्मनी के शहर म्यूनिख में वैश्विक भू-राजनीति को भविष्य के लिए आकार देने और उस पर चर्चा करने के लिए जमा हुए हैं।
अमेरिका की तरफ से उप राष्ट्रपति जेडी वेन्स ने तीन दिवसीय इस सम्मेलन में शिरकत की, जबकि अमेरिका के सबसे बड़े प्रतिद्वंद्वी चीन की तरफ से वहां के विदेश मंत्री वांग यी ने इसमें हिस्सा लिया।
माना जा रहा है कि म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में वेन्स अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई सीधी बातचीत के क्रम में यूक्रेन-रूस जंग को समाप्त करने की प्रतिज्ञा पर चर्चा को आगे बढ़ाने वाले हैं।
इस दौरान चीन, जो रूस का मित्र देश है, ने भी यूक्रेन जंग को रोकने पर अमेरिका के साथ खड़े होने का वादा किया है। सम्मेलन में अपने भाषण के बाद आयोजकों से चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने डोनाल्ड ट्रम्प की योजनाओं का समर्थन किया और कहा कि शांति के लिए यह जरूरी है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, वांग ने कहा, “चीन शांति के लिए सभी प्रयासों को अनुकूल देखना पसंद करेगा… संयुक्त राज्य अमेरिका ने रूस के साथ एक आम समझ बनाई है और हमारा मानना है कि सभी पक्षों और सभी हितधारकों को उचित समय पर शांति वार्ता प्रक्रिया में भाग लेना चाहिए।”
वांग से पहले मंच पर आने वाले उपराष्ट्रपति जेडी वेंस से उम्मीद की जा रही थी कि वह यूक्रेन पर बात करेंगे और शांति प्रयासों के लिए राष्ट्रपति ट्रम्प की सोच के बारे में सभी को जानकारी देंगे लेकिन वेन्स इसकी बजाय अपने भाषण में प्रवास और डिजिटल शासन पर उनकी नीतियों के लिए यूरोपीय सरकारों की आलोचना करते रहे।
उन्होंने यूरोपीय देशों को कई मुद्दों पर घेरा लेकिन जब वांग की बारी आई तो उन्होंने दो-टूक कहा कि चीन यूक्रेन-रूस जंग को रोकने का हिमायती है और अमेरिकी राष्ट्रपति के साथ है।
इसे चीन का बदला रुख माना जा रहा है क्योंकि रूस चीन को अपना मित्र मानता रहा है और पिछले तीन सालों में चीन ने रूस की बड़ी मदद की है।
चीन ने एक बार भी यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की है लेकिन अब जब अमेरिका में ट्रंप का शासन शुरू हुआ है और अमेरिका ने चीन पर टैरिफ लगाकर ट्रेड वार को बढ़ा दिया है, तब चीन ने अपने रुख में बदलाव करते हुए अमेरिका का साथ देने का ऐलान किया है।
बड़ी बात यह है कि रूस ने अभी तक शांति वार्ता पर कुछ खुलकर नहीं कहा है और वह वार्ता की टेबल पर अमेरिकी शर्तों की बजाय अपनी शर्तों को मनवाने का इच्छुक है। दूसरी तरफ यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेन्स्की ने कहा है कि वह रूस के साथ तभी वार्ता करेगा, जब डोनाल्ड ट्रंप के पास एक कॉमन प्लान होगा।
इस बीच चीन ने नया कूटनीतिक परिचय दिया है। अगर चीन शांति वार्ता के सभा प्रस्तावों पर अमेरिका का साथ देता है तो उसके मित्र देश रूस के लिए यह बड़ा झटका हो सकता है क्योंकि अमेरिका पहले ही कह चुका है कि वह यूक्रेन की संप्रभुता से खिलवाड़ होने नहीं देगा, जबकि पुतिन यूक्रेन को खत्म करने पर तुले हैं।