पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने खालिस्तानी आंदोलन को बढ़ावा देने के आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया है।
इस व्यक्ति के ऊपर दीवारों पर खालिस्तानी नारे लिखने और सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो पोस्ट करने का आरोप है।
जस्टिस मंजरी नेहरू कौल ने फैसला सुनाते हुए कहाकि प्राथमिक दृष्टि में याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप न केवल गंभीर हैं बल्कि राष्ट्रीय अखंडता और सार्वजनिक सुरक्षा के मूल पर प्रहार करते हैं।
उन्होंने आगे कहाकि याचिकाकर्ता पर खालिस्तानी आंदोलन को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से गतिविधियों का आयोजन करने का आरोप है। यह पंजाब राज्य और पूरे देश की स्थिरता के लिए बड़ा खतरा है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क किया कि आरोपी को सात सितंबर, 2022 को गिरफ्तार किया गया। चालान 12 मई 2023 को पेश किए गए और आरोप 14 अगस्त 2024 को तय किए गए।
महत्वपूर्ण समय बीतने के बावजूद, ट्रायल खत्म नहीं हुआ है क्योंकि आज तक अभियोजन के किसी भी गवाह की पेशी नहीं हुई है। वकील ने आगे कहाकि याचिकाकर्ता का नाम न तो एफआईआर में था और न ही उसके पास से कोई आपराधिक सामग्री बरामद की गई थी जो उसे कथित अपराधों से जोड़ सके।
वहीं, सरकारी वकील ने जमानत के विरोध में तर्क दिया। उन्होंने कहाकि याचिकाकर्ता द्वारा भड़काऊ और देश विरोधी वीडियो प्रसारित किया गया।
इसे सोशल मीडिया पर वायरल किया गया, जिससे पंजाब में कानून और व्यवस्था के बिगड़ने की संभावना बढ़ गई। कोर्ट ने जांच में इन आरोपों को सही पाया।
अदालत ने कहाकि अगर यह चीजें सही हैं तो यह न केवल आपराधिक हैं, बल्कि हिंसा भड़काने, सामुदायिक असहमति को बढ़ावा देने और राज्य के सामाजिक ताने-बाने को अस्थिर करने वाली भी हैं।
जस्टिस कौल ने आगे कहाकि याचिकाकर्ता के ऊपर पंजाब और हिमाचल प्रदेश में कई एफआईआर हैं। उन्होंने कहाकि इसमें संदेह नहीं है कि ट्रायल में देरी हुई है, लेकिन इससे आरोपों की गंभीरता कम नहीं हो जाती।
उन्होंने कहाकि जो भी आरोप लगे हैं वह देश की संप्रभुता और सुरक्षा के लिए खतरा है। इसके साथ ही कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी।