अमेरिका से स्वदेश लौटे अवैध अप्रवासियों के परिजनों ने बुधवार को अपनी पीड़ा साझा की।
परिजनों ने कहा कि बच्चे आबाद होने के लिए अमेरिका गए थे पर बर्बाद होकर लौटे। वहां बच्चों को बसाने के लिए उन्होंने जमीन से लेकर पालतू पशु तक बेच डाले।
ऐसे ही कुछ परिजनों से सुरजीत सिंह, सुनील रहार और नैना मिश्रा ने बात की।
अमृतसर: बेटे के लिए बेचा दो एकड़ खेत
मैं स्वर्ण सिंह अमृतसर जिले के रजातल गांव का निवासी हूं।
23 वर्षीय बेटे अक्षदीप सिंह के अमेरिका जाने के सपने को पूरा करने के लिए मैंने ढ़ाई एकड़ खेत में से दो एकड़ खेत बेच दिया।
अक्षदीप 12वीं पास करने के बाद कनाडा जाना चाहता था लेकिन दो साल की तैयारी के बाद भी जरूरी परीक्षा पास नहीं कर सका इसलिए उसका सपना साकार नहीं हो सका। अक्षदीप ने इसके बाद दुबई जाने का फैसला किया।
इसके लिए मैंने चार लाख रुपये खर्च किए। वहां उसने ट्रक ड्राइवर के रूप में काम किया जिसके लिए उसे हर महीने 50 हजार रुपये मिलते थे, लेकिन उसका सपना रोजगार की तलाश में अमेरिका जाना था।
इसके लिए उसने एक एजेंट से संपर्क किया और 55 लाख रुपये में उसे अमेरिका भेजने की डील हुई। भारत वापस भेजे जाने से 14 दिन पहले ही वो अमेरिका पहुंचा था। मुझे पंजाब पुलिस से सूचना मिली की मेरा बेटा अमेरिका से अवैध अप्रवासियों को लेकर आ रहे विमान में है।
जींद: बेटा बाड़बंदी को फांदकर पहुंच गया था अमेरिका
मैं सुरेश कुमार सेना का पूर्व सैनिक हूं। पुलिस को फोन आया और मुझसे पूछा गया कि आपका बेटा अमेरिका कैसे पहुंचा। मैंने बताया कि मेरा 23 वर्षीय बेटा रोहित शर्मा डंकी रूट के जरिए विशालकाय बाड़बंदी फांद कर अमेरिका पहुंचा था।
अब वो वापस आ गया है। मैं इस बात से खुश हूं कि वो जिंदा घर लौटा है। पिछले दो सप्ताह से उससे संपर्क नहीं हो पा रहा था। ये सब किश्मत की बात है, लेकिन सकुशल वापसी सबसे सुखद है।
करनाल:डंकी रूट से गया था भाई
मैं शुभम राणा करनाल के कलरोन गांव का हूं।
मेरा भाई आकाश परिवार की आर्थिक मदद का सपना लिए 11 दिन पहले ही अमेरिका पहुंचा था। पर, उसे क्या पता था कि इस तरह वापस भेज जाएगा।
आकाश मार्च-अप्रैल में डंकी रूट से अमेरिका के लिए रवाना हुआ था और 26 जनवरी को मैक्सिको की सीमा पार कर गया था। पिता की 2006 में मृत्यु हुई थी और हमारे लिए गुजारा मुश्किल था। आकाश को वहां भेजने के लिए हमने अपनी दो एकड़ खेत बेच दी।
चुहारपुर: एक माह पहले ही पहुंचा था
मैं खुशी राम हरियाणा के जींद जिले के चुहारपुर गांव का हूं। मैं इन्वर्टर बैटरी का मैकेनिक हूं। बेटे अजय ने 12वीं पास करने के बाद 21 साल की उम्र में अमेरिका जाने की इच्छा जताई।
मैंने इसके लिए रिश्तेदारों से 40 लाख रुपये की व्यवस्था की। दो महीने में कई देशों की यात्रा के बाद अजय एक माह पहले अमेरिका पहुंचा था। अमेरिका सीमा में घुसने के बाद ही उसे वहां की एजेंसियों ने पकड़ लिया। अब वो घर वापस आ गया है।
दोस्तों के साथ छुट्टी मनाने गई थी बेटी
मैं कानूभाई पटले गुजरात के मेहसाणा का हूं।
बेटी एक माह पहले दोस्तों के साथ छुट्टी मनाने अमेरिका गई थी। अब मुझे सूचना मिली है कि वे अमेरिका से वापस आ रहे प्रवासियों में है। मुझे नहीं पता कि वे यूरोप से अमेरिका कैसे गई।
आखिरी बार उससे 14 जनवरी को बात हुई थी। वडोदरा के रहने वाले प्रवीण पटेल बताते हैं कि मेरी भतीजी एक महीने पहले अमेरिका गई थी। एक साल पहले उसकी शादी हुई थी।
मैं सुखविंदर सिंह फतेहाबाद के डिगोह में रहता हूं। मैंने 24 वर्षीय बेटे गगनप्रीत को स्टडी वीजा पर 2022 में ब्रिटेन भेजा था। मेरे पास कुल 3.5 एकड़ भूमि थी जिसमें से मैंने 2.5 एकड़ जमीन बेटे के सपने को पूरा करने के लिए बेच दी।
गगनप्रीत पिछले महीने ही डंकी रूट से ब्रिटेन से अमेरिका पहुंचा था। ब्रिटेन में वे वित्तीय संकट का सामना कर रहा था क्योंकि वहां सप्ताह में सिर्फ 20 घंटे काम करने की इजाजत थी। परिवार की आर्थिक स्थिति संभालने के लिए उसने अमेरिका जाने का फैसला किया।
रोहतक : खर्च की भरपाई के लिए पशु बेच डाले
बेटे को अमेरिका पहुंचाने के खर्च की भरपाई के लिए मैंने छह भैंस भी बेच दी। बेटे की वापसी के साथ उसके सपने और हमारा सबकुछ बर्बाद हो गया है। बेटे से संपर्क नहीं हो पा रहा था। हमे अंदेशा था कि वो पकड़ गया है। ये सब दिन इसलिए देखना पड़ रहा क्योंकि हरियाणा में बेरोजगारी अधिक है।
अमेरिका अमानवीयता कर रहा, लोगों के सपनों को कुचल रहा है।