सम्मान के साथ मरने का अधिकार, कर्नाटक सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को सबसे पहले लागू करेगा…

कर्नाटक ऐसा पहला राज्य है जिसने गंभीर रूप से मरीजों के ‘सम्मान से मरने के अधिकार’ पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को लागू करने का आदेश जारी करने का ऐलान कर दिया है।

कर्नाटक के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री दिनेश गुंडूराव ने सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को लागू करने की घोषणा की।

सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2023 में फैसला सुनाया था कि अगर किसी गंभीर रूप से बीमार मरीज को जीवनरक्षक दवाओं से भी फायदा नहीं मिल रहा है और उसमें सुधार की कोई उम्मीद नहीं है तो उसे सम्मानपूर्वक मरने का अधिकार दिया जा सकता है।

गुरुवार को कर्नाटक सरकार ने अपने आदेश में कहा, कोई भी ट्रांसप्लांटेशन ऑफ ह्यूमन ऑर्गन ऐंड टिशूज ऐक्ट के तहत स्वीकृत न्यूरोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, एनस्थेसिस्ट या फिर इंटेंसिविस्ट इस तरह की मौत के लिए बनाए गए सेकंड्री बोर्ड का सदस्य हो सकता है।

सदस्यों का नामांकन डिस्ट्रिक्ट हेल्थ ऑफिसर के द्वारा किया जाएगा। सु्प्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया था कि इस तरह के मामलों में दो बोर्ड बनाने होंगे। अस्पताल के स्तर पर एक प्राथमिक बोर्ड बनाया जाएगा। इसके अलावा जिले के स्तर पर एक सेकंड्री बोर्ड होगा।

कर्नाटक सरकार ने यह आदेश प्राइवेट और सरकारी दोनों तरह के अस्पतालों के लिए जारी किया है। जिस भी अस्पताल में ऐसे मरीजों का इलाज हो रहा है उनपर यह आदेश लागू होगा। जानकारों का कहना है कि महाराष्ट्र, गोवा और केरल में भी इस निर्देश को लागू करने की प्लानिंग की जा रही है।

कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इस फैसले से ना केवल डॉक्टर बल्कि असाध्य बीमारी से जूझ रहे मरीजों के परिवारों को भी राहत मिलेगी।

उन्होंने कहा कि मरीज अपने दो लोगों को नामित कर सकता है जो कि उसके मेडिकल ट्रीटमेंट से जुड़ा फैसला ले सकते हैं।

अगर उसकी निर्णय लेने की क्षमता नहीं बचती है तो नामित व्यक्तियों की स्वीकृति जरूरी होगी। हालांकि इलाज की जरूरत है या नहीं इसका फैसला एक्सपर्ट्स ही करेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap