फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बारो ने हाल ही में एक रेडियो इंटरव्यू में खुलासा किया कि फ्रांस ने डेनमार्क के साथ ग्रीनलैंड में सैनिक तैनात करने को लेकर चर्चा शुरू की है।
यह चर्चा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ग्रीनलैंड को हथियाने की धमकियों के बाद हुई है। हालांकि, डेनमार्क ने फिलहाल इस योजना को आगे बढ़ाने में रुचि नहीं दिखाई है।
लेकिन फ्रांस ने साफ कहा है कि अगर जरूरत पड़ी तो ग्रीनलैंड को बचाने के लिए वह अपनी सेना भेजने के लिए तैयार है।
पोलिटिको की रिपोर्ट के मुताबिक, बारो ने फ्रांस के सुद रेडियो से बातचीत करते हुए कहा, “हमने डेनमार्क के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की, लेकिन यह डेनमार्क की इच्छा नहीं है कि इस पर आगे बढ़ा जाए।”
यह बयान ऐसे समय में आया है जब डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन यूरोपीय देशों का दौरा कर रही हैं। उनका उद्देश्य अपने सहयोगियों से समर्थन हासिल करना है ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की धमकियों का सामना किया जा सके।
ग्रीनलैंड पर कब्जे की धमकी
डोनाल्ड ट्रंप हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति बने हैं। वह बार-बार ग्रीनलैंड पर कब्जा करने को लेकर अपनी रुचि जाहिर कर चुके हैं। उन्होंने संकेत दिया है कि वह इस विशाल आर्कटिक द्वीप को डेनमार्क से सैन्य बल या आर्थिक दबाव के जरिए लेने पर विचार कर सकते हैं।
मेटे फ्रेडरिक्सन मंगलवार को जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात के लिए बर्लिन और पेरिस पहुंचीं। इसके बाद वह ब्रसेल्स में नाटो महासचिव मार्क रुटे से मुलाकात करेंगी।
फ्रांस का आश्वासन- कोई भी खिलवाड़ नहीं कर सकता
बारो ने कहा, “अगर डेनमार्क मदद मांगता है, तो फ्रांस हमेशा उनके साथ खड़ा रहेगा। यूरोप की सीमाएं संप्रभु हैं, चाहे वह उत्तर हो, दक्षिण हो, पूर्व हो या पश्चिम। कोई भी हमारे सीमाई क्षेत्रों से खिलवाड़ नहीं कर सकता।”
फ्रांस के विदेश मंत्री ने यह भी बताया कि सोमवार को ब्रसेल्स में हुई यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रियों की बैठक में सभी ने डेनमार्क के लिए मजबूत समर्थन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि यूरोपीय देश आवश्यकता पड़ने पर सैनिक भेजने के लिए तैयार हैं।
“अमेरिका ग्रीनलैंड पर हमला नहीं करेगा”
हालांकि, बारो ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें नहीं लगता कि अमेरिका ग्रीनलैंड पर हमला करेगा। उन्होंने कहा, “ऐसा नहीं होगा। लोग यूरोपीय संघ के क्षेत्रों पर हमला नहीं करते।”
यह मामला यूरोपीय सुरक्षा और संप्रभुता के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। आगे की स्थिति डेनमार्क और यूरोपीय संघ की रणनीतियों पर निर्भर करेगी।
यूरोपीय संघ के साथ व्यापार युद्ध से अमेरिका को होगा भारी नुकसान
फ्रांस के विदेश मंत्री जीन-नोएल बारो ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को चेतावनी दी है कि अगर उन्होंने यूरोपीय संघ पर व्यापार शुल्क लगाया, तो इसका खामियाजा अमेरिका को ही भुगतना पड़ेगा।
उन्होंने कहा कि अगर ट्रंप ने इस दिशा में कदम उठाया, तो यूरोप में स्थित हजारों अमेरिकी कंपनियां सबसे पहले प्रभावित होंगी। बारो ने जोर देते हुए कहा, “यूरोपीय संघ के साथ व्यापार युद्ध में अमेरिका को ही सब कुछ खोना पड़ेगा। यूरोप में काम कर रही हजारों अमेरिकी कंपनियां इस फैसले की पहली शिकार होंगी।”