आज है प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का शुभ संयोग, जानें पूजा-विधि और आरती…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

 हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है।

हर माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत और चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि पड़ती है। प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव की विशेष अराधना की जाती है।

माघ माह में प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन यानी 27 जनवरी को है।

प्रदोष व्रत उदायतिथि के नियमानुसार रखा जाता है और शिवरात्रि में रात्रि पूजा का महत्व होता है, जिस वजह से प्रदोष व्रत और मासिक शिवरात्रि एक ही दिन पड़ रही है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत का संयोग बेहद शुभ और खास होता है। आइए जानते हैं पूजा-विधि:

पूजा-विधि:

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।

स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें।

घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।

अगर संभव है तो व्रत करें।

भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें।

भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें।

इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें। किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।

भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।

भगवान शिव की आरती करें।

इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

भगवान शिव की आरती-

ॐ जय शिव ओंकारा… आरती

जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।

ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे ।

त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी ।

त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

ॐ जय शिव ओंकारा

सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी ॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूलधारी ।

ॐ जय शिव ओंकारा

सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥

श्वेतांबर पीतांबर बाघंबर अंगे ।

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

प्रणवाक्षर में शोभित ये तीनों एका ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा ।

पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा ॥

ॐ जय शिव ओंकारा

त्रिगुणस्वामी जी की आरती जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी सुख संपति पावे ॥

ॐ जय शिव ओंकारा।

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