इजरायल और हमास के बीच सीजफायर में कैदियों की अदला-बदली जारी है।
शनिवार को हमास ने 4 महिला कैदियों की रिहाई की तो बदले में इजरायल ने भी 200 फिलिस्तीनियों को रिहा किया। गाजा में अपने घर लौटे फिलिस्तीनियों ने जब जमीन पर कदम रखा तो आंखों से आंसू नहीं रोक सके।
कैदियों ने बताया कि अल्लाह का शुक्र है कि वे सही सलामत घर लौट आए हैं। रिहा किए गए 200 कैदियों में 121 आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।
किसी ने 6 साल तो कोई 39 साल से इजरायली जेल में कैद था। कैदियों ने बताया कि उन्होंने छूटे जाने की उम्मीद छोड़ दी थी। उन्हें बाहरी दुनिया का कोई अता-पता नहीं था। वे हर दिन मौत की दुआ मांग रहे थे।
गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए चार महिला कैदियों के बदले में कुल 200 फिलिस्तीनी कैदियों को रिहा किए जाने के बाद पश्चिमी तट में खुशी का माहौल है।
रिहा किए गए 200 लोगों में से आधे से ज़्यादा लोग इज़रायली जेलों में आजीवन कारावास की सज़ा काट रहे थे, कुछ को कई हत्याओं का दोषी पाया गया था, जिसमें इज़रायली नागरिकों की हत्या भी शामिल थी।
अन्य पर कभी कोई अपराध का आरोप नहीं लगाया गया। सबसे गंभीर अपराधियों में से लगभग 70 को मिस्र के रास्ते कतर और तुर्की सहित पड़ोसी देशों में निर्वासित कर दिया गया।
इनमें से कुछ कम संख्या में लोगों को गाजा भेजा जाएगा। बाकी लगभग 120 को पश्चिमी तट और पूर्वी येरुशलम में अपने घरों को लौटने की अनुमति दी जाएगी।
इजरायल जेल सेवा ने एक बयान में कहा, “जेलों में आवश्यक गतिविधियों के समापन और राजनीतिक अधिकारियों की मंजूरी के बाद, सभी आतंकवादियों को ओफर और कट्जियोट जेलों से रिहा कर दिया गया।”
कैदियों की रिहाई से गाजा में जश्न का माहौल
रिहा किए गए कुछ कैदियों को बसों से उतरने के बाद भीड़ ने जोरदार जयघोष और आतिशबाजी के साथ ऊपर उठा लिया। इसके बाद वे अपने प्रियजनों और परिवार के सदस्यों को ढूंढने के लिए भागदौड़ करने लगे, फिर उन्हें एक खेल परिसर में ले जाया गया, जहां जश्न जारी रहा।
कैदियों ने बताया-कैसे गुजरे दिन
रिहा हुए एक कैदी बकर क्वाविश ने बस से उतरने के बाद कहा, “भगवान का शुक्र है! यह एक शानदार एहसास है, मैं इस एहसास को शब्दों में बयां नहीं कर सकता! मैं छह साल और दो महीने से जेल में हूं।” शनिवार को रिहा किया गया सबसे कम उम्र का फ़िलिस्तीनी कैदी 16 साल का था। सबसे उम्रदराज़, मोहम्मद अल-तौस, 69 साल का था। उसने 39 साल जेल में बिताए थे, उसे 1985 में इज़रायली सेना से लड़ते हुए गिरफ़्तार किया गया था।
हर रोज पीटा जाता था
रिहा हुए एक कैदी रियाद अराफात ने बताया कि जेल में उन्हें बहुत यातनाएं दी गईं। हर रोज जेल के अधिकारी उन्हें पीटा करते थे। कई दिनों तक भूखा रखते थे। उनके साथ जानवरों जैसा सलूक किया करते थे।
कैदी ने बताया कि यातनाओं के चलते उसका वजन 15 किलो तक कम हो गया था। अब आजाद होने के बाद वह इस जश्न को सपने की देख रहा है। मुझे यकीन नहीं हो रहा है कि मैं यातनाओं से भरे उस माहौल से अब निकल आया हूं।
121 कैदी काट रहे थे आजीवन कारावास की सजा
एक अन्य कैदी, मोहम्मद अल-अर्दाह, 2021 में एक हाई प्रोफाइल जेलब्रेक का हिस्सा था। रिहा किये गये कुल 121 कैदी आजीवन कारावास की सजा काट रहे थे।
कुछ कैदियों को अल्प अवधि के लिए हिरासत में रखा गया था, जबकि कुछ पर कभी कोई आपराधिक आरोप नहीं लगाया गया था, बल्कि उन्हें प्रशासनिक हिरासत में रखा गया था।
गौरतलब है कि शनिवार को हुई यह अदला-बदली 19 जनवरी को युद्ध विराम लागू होने के बाद से दूसरी अदला-बदली थी। पहली अदला-बदली में तीन बंधकों और 90 फ़िलिस्तीनी कैदियों को रिहा किया गया था।