प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
सनातन धर्म में महाकुंभ का विशेष महत्व है। जब प्रयागराज में 12 बार पूर्णकुंभ हो जाते हैं, तो उसे एक महाकुंभ का नाम दिया जाता है।
महाकुंभ 12 पूर्णकुंभ में एक बार लगता है। महाकुंभ का आयोजन 144 सालों में एक बार होता है। कुंभ मेले में देश-दुनिया से लोग शामिल होते हैं।
इस मेले में दुनिया भर के नागा साधु भी भाग लेते हैं। महाकुंभ की शुरुआत 13 जनवरी 2025 से हो गई है। 26 फरवरी (महाशिवरात्रि) को महाकुंभ का समापन होगा।
महाकुंभ में अमृत स्नान का होता है विशेष महत्व
महाकुंभ के दौरान हर दिन स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन अमृत स्नान का महत्व सबसे अधिक होता है। अमृत स्नान के दिन नागा बाबा और साधु-संत अपने शिष्यों के साथ भव्य जुलूस निकालते हुए संगम में गंगा स्नान करते हैं।
अमृत स्नान को अत्यधिक पुण्यदायक माना गया है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, महाकुंभ के अमृत स्नान के समय में गंगा और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना बेहद ही शुभ रहता है।
जो व्यक्ति इस समय गंगा स्नान या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करता है उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमृत स्नान करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ करने जैसा पुण्य फल मिलता है।
महाकुंभ का अंतिम अमृत स्नान कब होगा-महाकुंभ का पहला अमृत स्नान मकर संक्रांति 14 जनवरी को था। दूसरा अमृत स्नान मौनी अमावस्या पर 29 जनवरी को होगा।
महाकुंभ का तीसरा और अंतिम अमृत स्नान 3 फरवरी को बसंत पंचमी पर होगा। इस साल पंचमी तिथि 2 फरवरी को सुबह 9 बजकर 14 मिनट से शुरू हो रही है जो 3 फरवरी को 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी।
उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी 3 फरवरी को मनाई जाएगी। जिस वजह से अमृत स्नान भी 3 फरवरी को ही होगा।
प्रियंका प्रसाद (केवल व्हाट्सएप) 94064 20131