बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद से नई दिल्ली और ढाका के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं।
पड़ोसी देश में हिंदुओं पर हुई हिंसा का दुनियाभर में विरोध हुआ।
अब बांग्लादेश सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने दोनों देशों के बीच तनावपूर्ण स्थिति को लेकर दुख जताया है।
भारत के प्रतिद्वंद्वी चीन को इस कठिन समय में बांग्लादेश का दीर्घकालिक मित्र बताते हुए, यूनुस ने कहा कि नई दिल्ली के साथ तनावपूर्ण संबंध मुझे व्यक्तिगत रूप से बहुत दुख पहुंचाते हैं।
यूनुस ने कहा, “बांग्लादेश-भारत संबंध यथासंभव मजबूत होने चाहिए। आप जानते हैं, आप बांग्लादेश का नक्शा बनाए बिना भारत का नक्शा नहीं बना सकते।
बांग्लादेश की भूमि सीमा लगभग पूरी तरह से भारत के साथ चलती है।” इसके साथ ही, यूनुस ने बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री और भारत में रह रहीं शेख हसीना को वापस भेजने की फिर से मांग की है।
उन्होंने कहा है कि भारत हसीना को बांग्लादेश वापस भेजे, ताकि वह प्रदर्शनकारियों और उनके विरोधियों के खिलाफ अपराधों और अपने कार्यकाल के दौरान उन पर किए गए अपराधों के लिए मुकदमे का सामना कर सकें।
यूनुस, जिन्होंने 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में चुनाव कराने का वादा किया है, ने कहा कि उन्हें चुनाव लड़ने में कोई दिलचस्पी नहीं है। ‘गरीबों के बैंकर’ के रूप में पहचाने जाने वाले यूनुस और उनके द्वारा स्थापित ग्रामीण बैंक ने ग्रामीण गरीबों को 100 डॉलर से कम के छोटे ऋण देकर लाखों लोगों को गरीबी से उबारने में मदद करने के लिए नोबेल जीता था।
शेख हसीना की भतीजी पर भी बरसे थे यूनुस
पिछले दिनों मुहम्मद यूनुस ने शेख हसीना की भतीजी ट्यूलिप सिद्दीक और उनके परिवार की संपत्तियों की जांच की मांग की है।
यूनुस ने संकेत दिया है कि सिद्दीक ने अपनी मौसी शेख हसीना के बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में कार्यकाल के दौरान अवैध तरीकों से ये संपत्तियां अर्जित की होंगी।
‘टाइम्स’ अखबार को दिए एक साक्षात्कार में यूनुस ने सिद्दीक और उनके परिवार को उनकी मौसी की अपदस्थ सरकार के सहयोगियों द्वारा उपहार में दी गई संपत्तियों के उपयोग की निंदा की। उन्होंने मांग की कि यदि यह पाया जाता है कि उन्हें स्पष्ट लाभ मिला है तो उनकी संपत्ति बांग्लादेश को वापस कर दी जाए। यूनुस ने कहा था, ”यह साफ तौर पर डकैती है।”