अराजकता फैला रहे हैं ट्रंप, कनाडा नहीं झुकेगा; नई टैरिफ नीति से ट्रूडो को पड़ा बड़ा झटका…

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि ट्रंप अपने व्यापारिक साझेदारों में अनिश्चितता उत्पन्न करने की कोशिश कर रहे हैं।

वह ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि दूसरे देश अपने मोलभाव की स्थिति को कमजोर कर सकें। आपको बता दे कि ट्रंप ने सोमवार को संकेत दिया कि उनकी सरकार 1 फरवरी से मैक्सिको और कनाडा पर 25% तक शुल्क लगा सकती है।

ट्रूडो ने ट्रंप की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा, “हम जानते हैं कि इस प्रशासन से हमेशा कुछ अप्रत्याशित बयानबाजी सामने आती रहती है।”

ट्रूडो ने ट्रंप को एक कुशल वार्ताकार बताया और कहा कि वह अपनी व्यापारिक साझेदारों को संतुलन से बाहर रखने के लिए जो कुछ भी कर सकते हैं।

मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबॉम ने भी ट्रूडो के विचारों का समर्थन करते हुए कहा, “यह हमेशा महत्वपूर्ण है कि हम ठंडे दिमाग से सोचें और केवल बयानबाजी से न भटकें बल्कि जिन आदेशों पर हस्ताक्षर किए गए हैं उन्हें प्राथमिकता दें।”

ट्रूडो की सरकार यह स्पष्ट कर चुकी है कि यदि ट्रंप शुल्क लगाते हैं तो वह कनाडाई नागरिकों और व्यवसायों को समर्थन और मुआवजा प्रदान करेंगे।

कनाडा ने अमेरिकी निर्मित वस्त्रों पर प्रतिशोधी शुल्क की सूची भी तैयार की है, जिसे ट्रंप के व्यापक शुल्क लागू करने की स्थिति में लागू किया जा सकता है।

हालांकि, प्रतिशोध की यह नीति कनाडा के लिए भारी आर्थिक बोझ साबित हो सकती है। इससे उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए लागत बढ़ सकती है।

इससे आर्थिक संकट और गहरा हो सकता है। 2019 में कनाडा के बैंक ने अनुमान लगाया था कि यदि अमेरिका 25% शुल्क लागू करता है तो कनाडा का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 6% तक गिर सकता है।

ट्रूडो ने इस मामले पर कहा, “हम पहले भी ऐसी स्थितियों का सामना कर चुके हैं। हमारा ध्यान हमेशा सार्थक मुद्दों पर रहा है, जहां कनाडा और अमेरिका दोनों मिलकर अच्छा करते हैं।”

कनाडा के व्यापार मण्डल ने भी सतर्कता जताई है और कहा कि वे ट्रंप के बयानों को गंभीरता से लेंगे।

अल्बर्टा के प्रीमियर डैनियल स्मिथ ने ट्रूडो से असहमत होते हुए कहा कि कनाडा की ऊर्जा निर्यातों को अमेरिका के लिए रोकने की धमकी या निर्यात कर लगाने का विचार गलत होगा।

स्मिथ ने तर्क किया कि इससे अमेरिकी उपभोक्ताओं और व्यवसायों के लिए कीमतें बढ़ेंगी, जो दोनों देशों के लिए हानिकारक होगा।

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