इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर बीते साल खूब घमासान मचा। राजनीतिक पार्टियों को गुप्त तरीके से चंदा देने का अधिकार देने वाली इस योजना को लेकर विपक्षी दलों ने मोदी सरकार पर खूब निशाना साधा था।
बाद में सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2024 में इसे असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया था। अब इसे लेकर एक रिपोर्ट में दिलचस्प आंकड़े सामने आए हैं।
इन आंकड़ों के मुताबिक बीजेपी, कांग्रेस जैसी बड़ी पार्टियों के अलावा क्षेत्रीय पार्टियों ने भी इस योजना के जरिए बड़ी रकम जुटाई थी।
क्षेत्रीय दलों ने 2023-24 में जितना पैसा इकठ्ठा किया था, उसका एक बड़ा हिस्सा चुनावी बांड के जरिए आया था। इस लिस्ट में ममता बनर्जी की टीएमसी और केसीआर की बीआरएस जैसी पार्टियां अव्वल रहीं।
पार्टियों द्वारा चुनाव आयोग को दायर किए गए वार्षिक ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए तृणमूल कांग्रेस को 15 फरवरी 2024 तक 612.4 करोड़ रुपये मिले थे।
वहीं बीआरएस ने 495.5 करोड़ रुपये का चंदा हासिल किया था। इसके अलावा बीजेडी ने 245.5 करोड़ रुपये हासिल किए। चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने चंदे के जरिए 174.1 करोड़ रुपए और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने 121.5 करोड़ रुपये जुटाए थे।
वहीं प्रतिशत की बात करे तो टीएमसी ने कुल आय का 95% हिस्सा बॉन्ड से जुटाया था। ऑडिट रिपोर्ट की तुलना से पता चलता है कि इलेक्टोरल बॉन्ड से टीएमसी की आय में पिछले सालों की तुलना में 88% की बढ़ोतरी हुई।
चार राष्ट्रीय दलों, बीएसपी, आप, सीपीएम और नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) द्वारा वर्ष 2023-24 के लिए घोषित कुल आय का डाटा भी सामने आया है।
इस दौरान बीएसपी की आय सबसे अधिक 64.8 करोड़ रुपये थी। वहीं आम आदमी पार्टी की आय 22.7 करोड़ रुपये थी।