आज मकर संक्रांति और महाकुंभ का पहला अमृत स्नान, जानें महापर्व से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी…

प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):

सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने का महापर्व मकर संक्रांति यानी खिचड़ी मंगलवार को मनायी जाएगी।

लोग पुण्यकाल में सुबह से ही पवित्र नदियों और अपने घरों पर स्नान, सूर्य उपासना, जप, अनुष्ठान, दान दक्षिणा करेंगे। इस बार मकर संक्रांति पर विष्कुंभ योग और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग बन रहा है।

जोकि बहुत शुभ माना जा रहा है। मकर संक्रांति के साथ ही खरमास भी समाप्त हो जाएगा और मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे। महाकुंभ का शुभारंभ होने से इस बार सनातनियों में मकर संक्रांति पर्व की महत्त्वता बढ़ गई है।

महाकुंभ का पहला अमृत स्नान आज-

महाकुम्भ का पहला अमृत (शाही) स्नान आज है। मकर संक्रांति के अवसर पर सभी 13 अखाड़े अपने नागा संन्यासियों के साथ संगम तट पर स्नान करेंगे।

अगले दो अमृत स्नान

– 29 जनवरी मौनी अमावस्या

– 03 फरवरी वसंत पंचमी

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल बताते हैं कि हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 14 जनवरी को सूर्य भगवान, मकर राशि में सुबह 8.55 बजे प्रवेश करेंगे।

वहीं विष्कुम्भ योग और पुनर्वसु नक्षत्र का संयोग भी बन रहा है। मकर राशि के सूर्य के प्रवेश के साथ ही पुण्यकाल में स्नान व दान के बाद तिल खाना शुभ होगा।

पुण्यकाल सुबह 8.55 से शाम 5.43 तक रहेगा। पुण्यकाल में स्नान के बाद होम, जप, अनुष्ठान करना और ब्राह्मणों व गरीबों को तिल, गुड़, मिठाई, खिचड़ी सामग्री, गर्म कपड़े, कंबल, लकड़ी आदि दान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

यदि कुंडली में सूर्य शनि का दोष है तो मकर संक्रांति पर्व पर सूर्य उपासना, काले तिल दान करने से सूर्य शनि के दोष दूर होते हैं।

खरमास होगा समाप्त-

मकर संक्रांति के साथ ही खरमास खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही शुभ व मांगलिक कार्य जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश आदि लोग कर सकते हैं। 16 जनवरी से विवाह के लिए शुभ मुहूर्त भी मिलने लगेंगे।

आज ही दिन गंगा जी सागर में मिली थी

ज्योतिषाचार्य एसएस नागपाल बताते हैं मकर संक्रांति के साथ अनेक पौराणिक तथ्य जुड़े हुए हैं।

आज के ही दिन मां गंगा जी भगीरथ के पीछे चलकर कपिल मुनि के आश्रम से होकर सागर में जा मिली थीं। इसीलिए आज के दिन गंगा स्नान व तीर्थ स्थलों पर स्नान दान का विशेष महत्व होता है।

महाभारत की कथा के अनुसार भीष्म पितामह ने अपनी देह त्यागने के लिए मकर संक्रांति का दिन ही चुना था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap