फ्लोरिडा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ग्रीनलैंड को “राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक आवश्यक संपत्ति” करार दिया।
उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो ग्रीनलैंड पर सैन्य कार्रवाई करने से इंकार नहीं किया जाएगा। ट्रंप ग्रीनलैंड पर कब्जा करने की पूरी कोशिश कर सकते हैं। उनके हालिया बयानों के बाद भू-राजनीतिक तनाव बढ़ गया है।
डोनाल्ड ट्रंप के बेटे ट्रंप जूनियर हाल ही में ग्रीनलैंड की यात्रा थे। इसे “निजी यात्रा” बताया गया।
लेकिन इसने अटकलें तेज कर दी हैं कि क्या यह यात्रा ग्रीनलैंड के लोगों की राय जानने या अनौपचारिक बातचीत शुरू करने के मकसद से की गई थी। हालांकि, ग्रीनलैंड के स्थानीय प्रतिनिधियों ने उनसे मिलने से इनकार कर दिया और द्वीप की संप्रभुता पर जोर दिया।
अमेरिका के लिए क्यों महत्वपूर्ण है ग्रीनलैंड
ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है और अपनी रणनीतिक स्थिति के कारण अमेरिका के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह उत्तर अमेरिका और यूरोप के बीच स्थित है और आर्कटिक क्षेत्र में अमेरिका के सैन्य ठिकानों, जैसे थुले एयर बेस, की सुरक्षा के लिए अहम भूमिका निभाता है।
आर्कटिक के तेजी से पिघलते बर्फ क्षेत्र ने ग्रीनलैंड को संसाधनों का खजाना बना दिया है। यहां दुर्लभ खनिज, तेल और प्राकृतिक गैस के विशाल भंडार मौजूद हैं, जिन्हें ट्रंप प्रशासन अमेरिका की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और चीन पर निर्भरता कम करने का एक महत्वपूर्ण साधन मानता है। इसके अलावा, आर्कटिक में जलवायु परिवर्तन के कारण नए समुद्री व्यापार मार्ग खुल रहे हैं, जो यूरोप और एशिया के बीच व्यापार को तेज और सस्ता बना सकते हैं।
ग्रीनलैंड का आर्थिक और राजनीतिक भविष्य
वर्तमान में, ग्रीनलैंड की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से मछली पालन और डेनमार्क से मिलने वाली सब्सिडी पर निर्भर है।
लेकिन ग्रीनलैंड के प्रधानमंत्री म्यूट एगेडे ने ट्रंप के बयानों को “हिस्टीरिया” बताया और कहा कि ग्रीनलैंड का भविष्य उसके अपने लोगों के हाथों में है। ग्रीनलैंड के नेता अधिक स्वायत्तता और अंततः स्वतंत्रता की दिशा में प्रयास कर रहे हैं।
ग्रीनलैंड खरीदने की संभावित कीमत
1946 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने ग्रीनलैंड को 100 मिलियन डॉलर के सोने (वर्तमान में $1.3 बिलियन) से खरीदने की पेशकश की थी। लेकिन आज यह मूल्य कहीं अधिक है।
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रीनलैंड की अनुमानित कीमत सैकड़ों अरबों डॉलर से लेकर $1.5 ट्रिलियन तक हो सकती है, जिसमें द्वीप के खनिज संसाधन, रणनीतिक स्थिति और बुनियादी ढांचे के विकास की लागत शामिल है।
इसके अलावा, ग्रीनलैंड के 57,000 निवासियों के लिए मुआवजे का सवाल भी उठता है। प्रति व्यक्ति $100,000 से $1 मिलियन तक की सीधी भुगतान योजना का सुझाव दिया गया है, जो कुल लागत में $5.7 बिलियन से $57 बिलियन तक जोड़ सकता है। अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों ने सैकड़ों अरबों से लेकर खरबों डॉलर तक के अनुमान लगाए हैं।
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ग्रीनलैंड की कीमत उसके दुर्लभ खनिज और संसाधन क्षमता के कारण 1.1 ट्रिलियन डॉलर हो सकती है।
वहीं डेली मेल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि ग्रीनलैंड के भूभाग की तुलना अलास्का के 1867 के 7.2 मिलियन डॉलर के खरीद मूल्य से करने पर लागत 230 मिलियन डॉलर आएगी – लेकिन इस आंकड़े में मुद्रास्फीति, आधुनिक संसाधन मूल्यांकन या भू-राजनीतिक दांव शामिल नहीं हैं।
राजनयिक और कानूनी चुनौतियां
ग्रीनलैंड को खरीदने की संभावना केवल आर्थिक पहलुओं तक सीमित नहीं है। इसके लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों, संधियों और राजनयिक बाधाओं का सामना करना होगा।
डेनमार्क और ग्रीनलैंड के नेताओं ने बार-बार इस प्रस्ताव को खारिज किया है। अगर अमेरिका इसे जबरन हासिल करने की कोशिश करता है, तो यह नाटो सहित अपने प्रमुख सहयोगियों के साथ संबंधों को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।
डोनाल्ड ट्रंप की तीखी बयानबाजी और ग्रीनलैंड के प्रति बढ़ती दिलचस्पी न केवल अमेरिका-डेनमार्क संबंधों को प्रभावित कर रही है, बल्कि आर्कटिक क्षेत्र में वैश्विक शक्ति संघर्ष को भी तेज कर रही है।