तनावपूर्ण संबंधों के बीच बांग्लादेश भारत से मंगाएगा 50 हजार टन चावल, 200 करोड़ रुपये के आयात को मिली मंजूरी…

बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने भारत से 50,000 टन गैर-बासमती उबले चावल आयात करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।

यह कदम घरेलू मांग को पूरा करने के लिए उठाया गया है। बता दें कि भारत और बांग्लादेश के बीच पिछले कुछ महीनों से रिश्ते बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं।

हालांकि दोनों पड़ोसी देशों के बीच व्यापारिक संबंध हाल के राजनयिक तनाव के बावजूद अनवरत बने हुए हैं।

 सूत्रों के हवाले से लिखा है कि सरकारी खरीद समिति ने मंगलवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी। भारत की एक निजी कंपनी इस चावल की आपूर्ति करेगी।

यह कंपनी सबसे कम बोली लगाने वाली साबित हुई है। इस सौदे के तहत 50,000 टन चावल की कीमत प्रति टन $458.84 निर्धारित की गई है, जिससे कुल लागत $22,942,000 (लगभग 197 करोड़ रुपये या 280 करोड़ टका) होगी।

सरकार की समिति ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए राष्ट्रीय आपातकालीन आवश्यकताओं और जनहित के लिए अंतरराष्ट्रीय बाजारों से 6,00,000 टन चावल आयात करने की नीति प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है।

यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश में चावल की मांग लगातार बढ़ रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश में चावल की कीमतों को स्थिर रखने में मदद करेगा।

गैर-बासमती उबला चावल क्या है?

गैर-बासमती उबला चावल एक ऐसा चावल है जो बासमती चावल की श्रेणी में नहीं आता। यह चावल आकार, खुशबू और स्वाद में बासमती चावल से अलग होता है।

“उबला चावल” का मतलब है कि इस चावल को प्रसंस्करण के दौरान पहले पानी में भिगोया जाता है, फिर भाप से पकाया जाता है, और उसके बाद सुखाया जाता है। इस प्रक्रिया को “पारबॉयलिंग” कहा जाता है।

इस प्रक्रिया के कारण चावल के दानों में पोषक तत्व संरक्षित रहते हैं और यह अधिक पौष्टिक हो जाता है। उबले चावल पकाने में चिपचिपा नहीं होता और इसकी संरचना मजबूत रहती है।

यह चावल मुख्य रूप से दक्षिण एशिया और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में रोजमर्रा के भोजन में इस्तेमाल किया जाता है।

गैर-बासमती उबला चावल आमतौर पर सस्ता होता है और इसका उपयोग चावल के व्यंजन जैसे पुलाव, बिरयानी या अन्य साधारण पकवान बनाने में किया जाता है।

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