प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
पुत्रदा एकादशी को हिंदू धर्म में अत्यधिक शुभ और फलदायक माना जाता है। जैसा कि नाम से आपको पचा चल रहा है कि यह व्रत पुत्र की कामना से रखा जाता है।
अगर आप व्रत कर रहे हैं, तो आपको एकादशी के दिन व्रत करना होगा औरव्रत के साथ मंत्रों का जाप और व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।
पुत्रदा एकादशी हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष में दो बार आती है। एक तो यह व्रत सावन मास की एकादशी में रखी जाती है और दूसरी पुत्रदा एकादशी पौष मास में रखी जाती है।
यह दोनों व्रत संतान प्राप्ति और उनके लंबी उम्र और उनके अच्छे जीवन की कामना के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है।
कब है एकादशी तिथि
आपको बता दें कि पौष मास की एकादशी इस 9 जनवरी से ही शुरू हो जाएगी, लेकिन उदया तिथि के अनुसार एकादशी व्रत 10 जनवरी को ही रखा जाएगा।
एकादशी तिथि 9 जनवरी को दोपहर 12:22 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस एकादशी तिथि का समापन 10 जनवरी को सुबह 10:19 मिनट पर होगा इस व्रत का पारण अगले दिन यानी 11 जनवरी द्वादशी को सुबह 6.43 बजे से 8 बजे तक सुबह व्रत का पारणकिया जा सकता है।
त्रदा
जो महिलाएं पूरे विधि-विधान से इस व्रत का पालन करती हैं, उनकी संतान संबंधी सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ-साथ उनके मंत्रों का जाप और व्रत कथा का पाठ करना अति शुभ माना जाता है।
पुत्रदा एकादशी की कथा का पाठ बहुत ही पुण्यकारी माना जाता है।
कहते हैं, जो पूरी श्रद्धा से इस व्रत को करेगा, उसे भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। इस दिन खाने, गर्म कपड़े, जूते, आदि का दान करना उत्तम रहता है।