आज है शनि प्रदोष व्रत, जानें पूजा-विधि, शुभ मुहूर्त और सभी जरूरी विवरण…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

हिंदू पंचांग के अनुसार हर मास त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत को रखा जाता है।

पौष माह का प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है इसीलिए इसे शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। यह व्रत सूर्यास्त के समय पर निर्भर करता है।

भगवान शिव से आशीर्वाद प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता है। शनि प्रदोष व्रत रखने से संतान सुख की प्राप्ति होती है। हर महीने में दो प्रदोष व्रत होते हैं।

प्रदोष व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। शनि प्रदोष व्रत संतान प्राप्ति के निमित्त किया जाने वाला व्रत है। इस दिन भगवान शिव की पूजा करें। संतान गोपाल स्तोत्र का पाठ करें।

मुहूर्त-

पौष, कृष्ण त्रयोदशी प्रारम्भ – 02:26 दिसम्बर 28

पौष, कृष्ण त्रयोदशी समाप्त -सुबह 03:32 दिसम्बर 29

प्रदोष काल- 05:33 शाम से 08:17 शाम

पूजा-विधि:

सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र पहन लें। घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें। अगर संभव है तो व्रत करें।

भगवान भोलेनाथ का गंगा जल से अभिषेक करें। भगवान भोलेनाथ को पुष्प अर्पित करें। इस दिन भोलेनाथ के साथ ही माता पार्वती और भगवान गणेश की पूजा भी करें।

किसी भी शुभ कार्य से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान शिव को भोग लगाएं। इस बात का ध्यान रखें भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान शिव की आरती करें। इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।

प्रदोष व्रत पूजा-सामग्री-

पुष्प, पंच फल पंच मेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ की बालें,तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव व मां पार्वती की श्रृंगार की सामग्री आदि।

व्रत कथा- शनि प्रदोष व्रत की कथा इस प्रकार है। किसी नगर में सेठ और सेठानी रहा करते थे। काफी संपत्ति,धन सम्पत्ति उसके पास थी। नौकर चाकर थे,किंतु उसके संतान नहीं थी। वे हमेशा दुखी थे और संतान प्राप्ति की चिंता करते थे। अंत में सोचा कि संसार नाशवान है।

ईश्वर की पूजा, ध्यान और तीर्थ स्थानों का भ्रमण किया जाए। वे अपने सारा कार्य विश्वस्त सेवकों को सौंपकर तीर्थ यात्रा के लिए चल दिए। गंगा किनारे एक सन्त तपस्या कर रहे थे। सेठ ने विचार किया कि तीर्थ यात्रा करने से पहले इन सन्त का आशीर्वाद ले लिया जाए और वह कुटिया में संत के समक्ष ही बैठ गए।

संत ने आंखें खोली और उनके आने का कारण पूछा। सेठ दंपत्ति ने संत को प्रणाम किया। पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद मांगा। संत ने कहा शनि प्रदोष का व्रत कीजिए। भगवान शिव की आशुतोष के रूप में प्रार्थना करो।

तुम्हारी इच्छा शीघ्र ही पूरी होगी। वे दोनों संत का आशीर्वाद लेकर उन्हें प्रणाम करके तीर्थ यात्रा पर निकल गए। उसके पश्चात जब घर लौटे तो शनि प्रदोष का बड़ी श्रद्धा के साथ व्रत किया और भगवान शिव की पूजा की।

उसके प्रभाव से सेठ दंपत्ति को पुत्र संतान की प्राप्ति हुई। संतान के इच्छुक दंपत्ति शनि प्रदोष का व्रत करके अपनी इच्छा पूरी कर सकते हैं।

संतान का ना होना, संतान की तरक्की न होना, संतान के पढ़ाई में बाधा आदि दोषों को दूर करने के लिए शनि प्रदोष का व्रत सफलता देने वाला है।

 प्रियंका प्रसाद (केवल व्हाट्सएप) 94064 20131

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