इजरायल ने मंगलवार को स्वीकार कर लिया है कि हमास के पूर्व मुखिया इस्माइल हानियेह को उसने ही मौत के घाट उतारा था। ह
मास चीफ इस्माइल हानियेह को ईरान की राजधानी तेहरान में मारा गया था। इसके अलावा इजरायल ने चेतावनी भी दी है कि वह यमन में हूती विद्रोहियों के नेतृत्व को भी खत्म करेगा।
इजरायली रक्षा मंत्री इजरायल काट्ज ने कहाकि हम हूती विद्रोहियों पर करारा हमला करेंगे और उनकी नेतृत्व को छिन्न-भिन्न कर डालेंगे।
ठीक उसी तरह, जैसे हमने हानियेह, याह्या सिनवार और हसन नसरल्लाह को तेहरान, गाजा और लेबनान में खत्म कर डाला। होदेदा और साना में भी कुछ ऐसा ही होगा।
इजरायली रक्षा मंत्री ने आगे कहाकि जो भी कोई इजरायल के खिलाफ हाथ उठाएगा, उसका हाथ काट दिया जाएगा। वह इजरायली सेना की नजरों से बच नहीं पाएगा और अपने किए का अंजाम भुगतेगा। बता दें कि हानियेह इसी साल 31 जुलाई को मारा गया था।
उसके मारे जाने के 5 महीने बाद इजरायल ने औपचारिक तौर पर उसको मारे जाने में अपनी भूमिका की बात स्वीकारी है। इससे पहले प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की सरकार ने कभी नहीं माना था कि उसने पूर्व हमास चीफ को मारा है। अभी भी हमास और उसका समर्थन करने वाला ईरान, इजरायल पर यह आरोप लगाता है कि उसने आतंकी गुट के शीर्ष नेतृत्व को खत्म किया है।
कैसे मारा गया था इस्माइल हानियेह
तेहरान में 31 जुलाई को हानियेह एक गेस्टहाउस में हुए बम धमाके में मारा गया था। बताया जाता है हानियेह वहां ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियान से जुड़े कार्यक्रम में आया था। इजरायली सैनिकों को इस बात की जानकारी मिल गई थी और उन्होंने हानियेह के आने से हफ्तों पहले वहां डिवाइस लगा दिया था।
ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने दावा किया था कि हानियेह को उसके घर के बाहर से लॉन्च किए गए ‘शॉर्ट-रेंज प्रोजेक्टाइल’ का इस्तेमाल करके मारा गया था। तेहरान ने अमेरिका पर इजरायल के ऑपरेशन का समर्थन करने का भी आरोप लगाया।
हिजबुल्लाह के शीर्ष कमांडर फुअद शुकर की बेरुत में हवाई हमले में मौत के कुछ ही समय बाद हानियेह मारा गया था। 62 वर्षीय हानियेह, हमास का राजनीतिक ब्यूरो का प्रमुख था, जिसने 2007 से गाजा पट्टी को नियंत्रित किया था।
हानियेह की हत्या ने क्षेत्र में ईरान और इजरायल के बीच एक पूर्ण युद्ध की आशंका को बढ़ा दिया था। इसके बाद अमेरिका को तेहरान और उसके सहयोगियों, हमास और हिजबुल्लाह से खतरों को देखते हुए अतिरिक्त लड़ाकू जेट और नौसेना के युद्धपोत तैनात किए थे।