ट्रंप तो नाम से बदनाम थे, लेकिन अप्रवासियों को देश से बाहर करने में बाइडन भी पीछे नहीं, डिपोर्टेशन में तोड़ा रिकॉर्ड…

अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अवैध अप्रवासियों को लेकर काफी खुले तौर पर बोलते हुए नजर आते हैं।

पूरे चुनाव अभियान के दौरान भी उन्होंने अवैध अप्रवासियों को अमेरिका से डिपोर्ट करने के नाम पर लोगों से वोट मांगे।

अमेरिका में ट्रंप को जहां अवैध अप्रवासियों को देश से हटाने के मामले में कट्टर माना जाता है तो वहीं वर्तमान राष्ट्र्पति बाइडन को इस मामले में थोड़ा लिबरल माना जाता है। लेकिन हाल ही में आई एक रिपोर्ट ने पूरी कहानी को उलट कर रख दिया है।

गुरुवार को जारी हुई अमेरिकी इमिग्रेशन एंड कस्टम एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका ने पिछले वित्तीय वर्ष में करीब 271,000 से अधिक अप्रवासियों को देश से निर्वासित किया है।

यह संख्या डोनाल्ड ट्रंप के पिछले कार्यकाल के दौरान निर्वासित किए गए लोगों की संख्या से भी ज्यादा है। हालांकि बाइडन ने 2021 में अप्रवासियों के निर्वासन को रोकने का वादा किया था।

लेकिन सीमा पार से बढ़ती घुसपैठ के बाद उन्हें अपने वादे से मुकरना पड़ा। पिछले साल जितने लोगों को अमेरिका से बाहर भेजा गया वह पूरे दशक में सबसे ज्यादा है।

रिपोर्ट के मुताबिक 2024 में डिपोर्ट किए गए लोगों में मुख्य तौर पर ऐसे अवैध प्रवासी शामिल थे, जिन्हें सीमा अधिकारियों द्वारा पकड़ा गया था।

डिपोर्ट किए गए लोगों में ऐसे लोगों की संख्या करीब 82 प्रतिशत थी।

ट्रंप के आगामी प्रशासन के लिए प्रेस सचिव की भूमिका निभाने के लिए कैरोलीन लेविट ने इस मामले पर कहा कि बाइडन प्रशासन के दौरान जितने लोग अमेरिका में अवैध रूप से आए है उतने निकाले नहीं गए।

यह स्थिति बहुत ही खराब है। कुछ दिनों बाद ट्रंप राष्ट्रपति पद पर होंगे और वह राष्ट्रीय सुरक्षा और कस्टम की सारी चूकों को खत्म कर देंगे।

अमेरिकी कस्टम और सीमा सुरक्षा बलों की रिपोर्ट के मुताबिक मेक्सिको बॉर्डर पर प्रवासियों से सुरक्षाबलों की मुठभेड़ 2020 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है।

ट्रंप ने अपने पूरे प्रचार अभियान के दौरान अवैध अप्रवासियों को निकालने के नाम पर वोट मांगे। अमेरिका की जनता ने उन्हें ऐतिहासिक बहुमत के साथ व्हाइट हाउस पहुंचा भी दिया है।

ऐसे में ट्रंप को आने वाले समय में अवैध अप्रवासियों के लिए एक बेहतर योजना बनानी होगी। लेकिन इस पूरी प्रक्रिया में बजट की कमी है और इस कमी का मतलब यह है कि ट्रंप को अपने सामूहिक निर्वासन की योजना में देरी करनी पड़ सकती है।

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