गुजरात के वकील ने अमित शाह का विरोध किया, आंबेडकर से 3 दिनों तक माफी मांगने की मांग…

केंद्री गृह और सहकारिता मंत्री अमित शाह के डॉ. भीमराव आंबेडकर को लेकर दिए गए बयान का असर उनके गृह राज्य गुजरात में भी देखने को मिल रहा है।

गुजरात बार काउंसिल (बीसीजी) के अहमदाबाद से एक सदस्य परेश वाघेला ने 30 दिसंबर को बीसीजी द्वारा आयोजित सार्वजनिक कार्यक्रम का बहिष्कार करने का ऐलान किया है।

इस कार्यक्रम में अमित शाह को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।

इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए वाघेला ने कहा कि यदि अमित शाह अपनी कथित अपमानजनक टिप्पणियों के लिए आंबेडकर से माफी नहीं मांगते तो वह कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बनेंगे।

उन्होंने कहा, “आपने उस व्यक्ति का अपमान किया है जिनके नेतृत्व में संविधान तैयार हुआ था। आपको तीन दिनों तक माफी मांगनी होगी। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो मैं उस कार्यक्रम में क्यों रहूं जिसमें आप मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हो रहे हैं?”

आपको बता दें कि गुजरात बार काउंसिल ने 30 दिसंबर को विज्ञान भवन, साइंस सिटी अहमदाबाद में नए वकीलों के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन किया है। इस कार्यक्रम में 6,000 नए वकील शपथ लेंगे।

वाघेला ने कहा, “मैंने यह निर्णय एक दलित और आंबेडकरवादी के रूप में लिया है। इसका कांग्रेस से कोई संबंध नहीं है। मेरे जज्बातों को ठेस पहुंची है, इसलिए मैंने यह फैसला लिया है।”

इस बीच बीसीजी के अध्यक्ष जेजे पटेल ने वाघेला पर आरोप लगाया कि वह राजनीति कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, “वाघेला कांग्रेस के समर्थक हैं। वह कांग्रेस के कानूनी प्रकोष्ठ के एक पदाधिकारी हैं। अगर वह राजनीतिक विरोध करना चाहते हैं, तो यह उनका अधिकार है, लेकिन इसे बीसीजी के मंच से नहीं किया जाना चाहिए।”

पटेल ने यह भी कहा कि वाघेला बीसीजी की सभी बोर्ड बैठकों में उपस्थित थे, जहां यह निर्णय लिया गया था कि कार्यक्रम अमित शाह के नेतृत्व में आयोजित होगा और वाघेला ने तब सहमति दी थी।

पटेल ने कहा कि बीसीजी कार्यक्रम को पूरी ताकत से आयोजित करेगा और इसमें गुजरात के वकीलों की रिकॉर्ड संख्या भाग लेगी।

इसके अलावा, इस कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल, राज्य के विधायी मंत्री रुशिकेश पटेल, बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा, भारत सरकार के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और गुजरात के महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी के भी आने की उम्मीद है।

आपको बता दें कि अमित शाह ने यह विवादास्पद बयान मंगलवार को राज्यसभा में भारतीय संविधान के “75 वर्षों की शानदार यात्रा” पर हुए बहस के दौरान दिया था।

विपक्ष ने शाह के बयान का विरोध करते हुए इसे आंबेडकर का अपमान करार दिया। इसके बाद अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस पर उनके खिलाफ गलत सूचना फैलाने का आरोप लगाया।

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