बांग्लादेश के 53वें विजय दिवस पर अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने अपने संबोधन में उन महान शख्सियतों को नजरअंदाज करने की पूरी कोशिश की, जिन्होंने बांग्लादेश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विजय दिवस पर अपने देश को संबोधित करते हुए यूनुस ने भारतीय सेना के संघर्ष और 1971 की युद्ध में उनकी भूमिका पर एक भी शब्द नहीं कहा।
इसके बजाय, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाली अवामी लीग पर निशाना साधा।
उन्होंने 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन को दूसरे विजय दिवस के रूप में पेश करते हुए यह दावा किया कि इससे बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्वतंत्रता को साबित किया।
स्वतंत्रता विरोधी ताकतों पर चुप्पी, भारत पर निशाना
यूनुस और उनकी सरकार ने जहां 1971 की ऐतिहासिक जीत में भारतीय सेना के योगदान का उल्लेख नहीं किया, वहीं भारत-बांग्लादेश संबंधों को भी आलोचना का शिकार बनाया।
बता दें अंतरिम सरकार के विजय दिवस कार्यक्रम में उन नेताओं की उपस्थिति भी देखी गई, जिन पर युद्ध अपराधों के गंभीर आरोप लगे हैं।
इसे लेकर बांग्लादेश के राष्ट्रीय समाजवादी दल (जसद) ने कहा, “मुक्ति संग्राम में हारने वाली ताकतें अब 1971 के इतिहास को मिटाकर पूर्वी पाकिस्तान की पुनर्स्थापना की कोशिश कर रही हैं।”
वहीं विजय दिवस के मौके पर बांग्लादेश के विभिन्न हिस्सों से हिंसा की खबरें भी आईं। झिनैदाह जिले में विजय दिवस समारोह में अव्यवस्थाओं को लेकर प्रदर्शनकारियों ने सरकारी अधिकारियों के वाहनों को क्षतिग्रस्त किया और एक अधिकारी पर शारीरिक हमला भी किया।
राजधानी ढाका में शहीद स्मारक पर अवामी लीग समर्थकों को जमात कार्यकर्ताओं के हमलों का सामना करना पड़ा।
तेज हुई चुनाव की मांग और राजनीतिक बयानबाजी
इस बीच, विपक्षी दल बीएनपी ने विजय दिवस के मौके पर तेजी से चुनाव कराने की मांग उठाई। पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष तारिक रहमान ने सोशल मीडिया पर लिखा, “समानता और एकता का सपना केवल जनता को सशक्त करके ही साकार किया जा सकता है।”
हालिया बयान के बाद यूनुस और उनकी सरकार के रवैये को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि क्यों 1971 के मुक्ति संग्राम के नायकों और भारतीय सेना की भूमिका की अनदेखी की गई।
वहीं, स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले मूल नायकों को ही निशाना बनाकर स्वतंत्रता विरोधी ताकतों को बढ़ावा देने की कोशिश की जा रही है।
बांग्लादेश के 53वें विजय दिवस पर अंतरिम सरकार के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने अपने संबोधन में उन महान शख्सियतों को नजरअंदाज करने की पूरी कोशिश की, जिन्होंने बांग्लादेश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
विजय दिवस पर अपने देश को संबोधित करते हुए यूनुस ने भारतीय सेना के संघर्ष और 1971 की युद्ध में उनकी भूमिका पर एक भी शब्द नहीं कहा।
इसके बजाय, उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में अहम योगदान देने वाली अवामी लीग पर निशाना साधा। उन्होंने 5 अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन को दूसरे विजय दिवस के रूप में पेश करते हुए यह दावा किया कि इससे बांग्लादेश ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी स्वतंत्रता को साबित किया।