क्या है Voronezh Radar, रेंज 8000 KM, दुश्मन क्या परिंदा भी नहीं गुजर पाएगा; रूस से मेगा डील?

भारत अपनी सुरक्षा को मजबूत करने के लिए हरसंभव कदम उठा रहा है।

दो ओर से पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसियों की चुनौतियों के बीच, भारत अपनी वायु रक्षा को और सुदृढ़ बनाने की दिशा में काम कर रहा है।

इस उद्देश्य के तहत, भारत ने अपने भरोसेमंद साझेदार रूस से सहयोग लेने का फैसला किया है।

इसी सिलसिले में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की रूस यात्रा के दौरान दोनों देशों के बीच एक बड़े रक्षा समझौते की चर्चाएं तेज हैं।

लगभग 4 बिलियन डॉलर की यह डील भारत की वायु रक्षा प्रणाली को अत्याधुनिक बनाएगी। इसके तहत रूस के उन्नत वोरोनेझ रडार सिस्टम को भारत में लाने की योजना पर विचार किया जा रहा है।

क्या है वोरोनेझ रडार सिस्टम?

वोरोनेझ रडार, रूस की अल्माज-आंतेय कॉरपोरेशन द्वारा निर्मित एक अत्याधुनिक और लंबी दूरी का अर्ली वॉर्निंग रडार है। यह रडार 8,000 किलोमीटर से अधिक की रेंज तक बैलिस्टिक मिसाइलों, लड़ाकू विमानों और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइलों (आईसीबीएम) जैसे खतरों का पता लगा सकता है।

यह सिस्टम एक साथ 500 से अधिक ऑब्जेक्ट्स को ट्रैक करने की क्षमता रखता है। इसकी 10,000 किलोमीटर तक की कुल रेंज, 8,000 किलोमीटर तक की वर्टिकल रेंज और 6,000 किलोमीटर तक की क्षैतिज रेंज इसे बेहद प्रभावी बनाती है।

रूस का दावा है कि यह रडार स्टेल्थ विमानों का भी पता लगाने में सक्षम है। इसके अलावा, यह पृथ्वी के पास के अंतरिक्षीय ऑब्जेक्ट्स और आईसीबीएम की संपूर्ण जानकारी देने की क्षमता रखता है।

मेक इन इंडिया में होगा बड़ा योगदान

एनडीटीवी की रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस रडार सिस्टम के निर्माण में भारत की मेक इन इंडिया पहल को प्राथमिकता दी जाएगी।

सौदे के तहत 60 प्रतिशत से अधिक हिस्से का निर्माण भारत में किया जाएगा, जिसके लिए भारतीय कंपनियों को ऑफसेट पार्टनर्स के रूप में शामिल करने की योजना है। पिछले महीने रूस की टीम ने भारत का दौरा कर इस प्रोजेक्ट में संभावित सहयोगियों से चर्चा की थी।

कर्नाटक के चित्रदुर्गा में होगी तैनाती

बताया जा रहा है कि इस रडार सिस्टम की तैनाती के लिए कर्नाटक के चित्रदुर्गा जिले को चुना गया है। यह क्षेत्र पहले से ही भारत के अत्याधुनिक रक्षा और एयरोस्पेस सुविधाओं का केंद्र है।

रडार सिस्टम के संचालन से भारत को एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में खतरों का पता लगाने और निगरानी की क्षमता में महत्वपूर्ण बढ़ोतरी होगी।

एस-400 डिलीवरी पर भी हुई चर्चा

राजनाथ सिंह ने अपने रूसी समकक्ष आंद्रेई बेलूसोव के साथ सैन्य-तकनीकी सहयोग पर बैठक की। इस दौरान उन्होंने भारत को शेष एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम की डिलीवरी की प्रगति का जायजा भी लिया।

2018 में भारत ने इस उन्नत मिसाइल सिस्टम के लिए रूस के साथ समझौता किया था। गौरतलब है कि भारत और रूस के बीच यह रक्षा सौदा रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगा। ‘

वोरोनेझ’ रडार सिस्टम की तैनाती से भारत की वायु रक्षा और निगरानी क्षमताओं में क्रांतिकारी सुधार होगा।

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