बांग्लादेश की सरकार हो, पुलिस प्रशासन या फिर कोर्ट, हिंदुओं को परेशान करने और उनपर अत्याचार में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है।
इस्कॉन से जुड़े पुजारी चिन्मय दास, उनके साथियों की गिरफ्तारी के बाद अब पुलिस ने उनके सैकड़ों समर्थकों के खिलाफ एक साथ मामला दर्ज कर लिया है।
बांग्लादेश के चटगांव में अदालत परिसर में पुलिस और हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास के समर्थकों के बीच झड़प के मामले में रविवार को एफआईआर दर्ज की गई। मीडिया में आई खबर में यह जानकारी दी गई है।
‘ढाका ट्रिब्यून’ समाचार पत्र की खबर में बताया गया है कि रविवार को दर्ज मामले में, राजद्रोह के आरोप में गिरफ्तार दास को मुख्य आरोपी जबकि शिनाख्त किए गए 164 व्यक्तियों और 400 से 500 अज्ञात लोगों को आरोपी बनाया गया है।
व्यापारी और हिफाजत-ए-इस्लाम बांग्लादेश के कार्यकर्ता इनामुल हक ने चटगांव मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मोहम्मद अबू बकर सिद्दीकी की अदालत में शिकायत दायर की थी।
हक ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया कि 26 नवंबर को न्यायालय में जमीन रजिस्ट्री का काम पूरा कराने के बाद घर लौटते समय दास के समर्थकों ने उन पर हमला किया था। कारोबारी ने दावा किया कि हमले में उसके दाहिने हाथ और सिर में चोट आईं।
अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (ISKCON) कोलकाता के प्रवक्ता राधारमण दास ने रविवार को आरोप लगाया कि बांग्लादेश में कट्टरपंथी समूह खुलेआम इस्कॉन भक्तों और उनके समर्थकों के विनाश का आह्वान करते हुए उपदेश दे रहे हैं।
दास ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में दावा किया, “पिछले कुछ दिनों से बांग्लादेश में कट्टरपंथी निजी विमानों से देश भर में घूम रहे हैं और इस्कॉन भक्तों व उनके समर्थकों के विनाश का आह्वान करते हुए उपदेश दे रहे हैं। इन कट्टरपंथियों से निपटने में बांग्लादेशी सरकार की निष्क्रियता और भी भयावह है।”
एक वीडियो में एक बांग्लादेशी कट्टरपंथी नेता पर इस्कॉन को कथित तौर ‘कैंसर’ के रूप में संदर्भित करता है और अपने समर्थकों से बांग्लादेश के ‘सभी इस्कॉन प्रतिष्ठानों को उखाड़ फेंकने’ का आह्वान करता है।
दास ने चेतावनी दी कि इस तरह के अनियंत्रित घृणास्पद भाषण और उकसावे से अल्पसंख्यकों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हिंसा भड़क सकती है।