ब्रिटेन में भारतीय समुदाय की दो शख्सियतों से सम्मान छीन लिया गया है।
यह दोनों शख्सियतें हैं, टोरी पीयर रामी रेंजर और हिंदू काउंसिल यूके प्रबंध न्यासी अनिल भनोट। रेंजर को कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर का सम्मान मिला हुआ था।
वहीं, अनिल भनोट को ऑफिसर ऑफ द ऑर्डर का सम्मान हासिल था। इस बात घोषणा लंदन गजट में की गई है। इन दोनों को बकिंघम पैलेस को अपना सम्मान लौटाना होगा और भविष्य में यह कहीं इसका जिक्र नहीं कर सकेंगे।
इन दोनों सम्मान वापस लेने की सिफारिश ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने किंग से की थी। जहां भनोट पर 2021 में बांलादेशी हिंदुओं पर हिंसा के खिलाफ ट्वीट करने को लेकर यह ऐक्शन हुआ है।
वहीं, रेंजर के खिलाफ सिख फॉर जस्टिस ने शिकायत की थी।
रेंजर और भनोट ने सम्मान वापस लिए जाने के कदम की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है। भनोट को ओबीई सम्मान सामुदायिक एकजुटता के लिए मिला था। टा
भनोट ने बताया कि कमेटी ने उनसे जनवरी में संपर्क किया था। तब उन्हें लगा था कि सब ठीक हो जाएगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। भनोट के मुताबिक उनके खिलाफ इस्लामोफोबिया का आरोप है।
यह शिकायत साल 2021 की उन ट्वीट्स को लेकर है, जो उन्होंने बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा के बारे में की थीं। ‘5 पिलर्स’ वेबसाइट ने इन ट्वीट्स के बारे में इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स और चैरिटी कमीशन और दोनों से शिकायत की थी।
वहीं, रेंजर को 2016 में ब्रिटिश व्यवसाय और सामुदायिक सेवा के लिए सीबीई से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कहाकि मुझे सीबीई की परवाह नहीं है, लेकिन मुझे लगता है कि बोलने की स्वतंत्रता को कम कर दिया गया है। वह लोग गलत लोगों को पुरस्कृत कर रहे हैं।
रेंजर फैसले की न्यायिक समीक्षा कराने औरयूरोपीय मानवाधिकार अदालत में ले जाने की योजना बना रहे हैं। उनके खिलाफ शिकायतों में अमेरिका स्थित संगठन सिख्स फॉर जस्टिस की शिकायत भी शामिल है, जो भारत में प्रतिबंधित है।
एक टिप्पणी उनके द्वारा पीएम मोदी का बचाव करने और बीबीसी डॉक्यूमेंट्री, ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ को चुनौती देने के बारे में थी।
एक अन्य शिकायत साउथहॉल गुरुद्वारे के ट्रस्टी के संबंध में उनके द्वारा किए गए एक ट्वीट के बारे में थी। लॉर्ड रेंजर के एक प्रवक्ता ने कहाकि उन्होंने कोई अपराध नहीं किया है और न ही कोई कानून तोड़ा है। यह एक दुखद अभियोग है।