वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 को संसद से वापस लेने का आग्रह करने संबंधी एक प्रस्ताव मंगलवार को पश्चिम बंगाल विधानसभा में ध्वनिमत से पारित कर दिया गया, जबकि भाजपा विधायकों ने इसका विरोध करते हुए बहिर्गमन किया।
मंत्री शोभनदेब चट्टोपाध्याय द्वारा पेश प्रस्ताव में दावा किया गया कि यदि यह विधेयक पारित हो जाता है तो इससे देश में वक्फ प्रशासन प्रभावित होगा और इसलिए मौजूदा कानून में इस तरह का कोई भी बड़ा बदलाव करने से पहले अत्यधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भाजपा सदस्यों ने विधानसभा से वाकआउट किया। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि यह प्रस्ताव सदन के कीमती समय की बर्बादी है, क्योंकि वक्फ (संशोधन) विधेयक की जांच के लिए एक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) का गठन किया गया है और इसका कार्यकाल हाल ही में 2025 में संसद के बजट सत्र के अंतिम दिन तक बढ़ा दिया गया है।
अधिकारी ने दावा किया कि जेपीसी, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के दो सांसद सहित अन्य विपक्षी सांसद भी शामिल हैं, द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने तक विधेयक पर कुछ भी टिप्पणी करना जल्दबाजी होगी।
भाजपा विधायक ने दावा किया कि यह प्रस्ताव वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लाया गया है। प्रस्ताव के समर्थन में, चट्टोपाध्याय ने कहा कि विधेयक में केंद्रीय वक्फ परिषद और विभिन्न राज्य वक्फ बोर्ड की संरचना को संशोधित करने का प्रावधान है, जिससे मुस्लिम प्रतिनिधित्व काफी कम हो जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार ने ‘‘राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ किसी भी परामर्श के बिना कानून बनाने की दिशा में कदम उठाया है।’’
भाजपा नेता ने यह भी दावा किया कि मुसलमानों के अधिकारों में कोई हस्तक्षेप नहीं किया गया है और केंद्र उनके लाभ के लिए वक्फ संपत्तियों का डिजिटलीकरण करना चाहता है।
सोमवार को प्रस्ताव पर दो दिवसीय चर्चा में भाग लेते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने विधेयक को लेकर भाजपा के नीत केंद्र सरकार की आलोचना की थी और उस पर मुसलमानों को निशाना बनाने का आरोप लगाया था।
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने केंद्र पर मुसलमानों को निशाना बनाकर ‘‘विभाजनकारी एजेंडा’’ चलाने का आरोप लगाया था और सवाल किया था कि क्या भाजपा संसद में विधेयक पारित कर पाएगी क्योंकि उसके पास ‘‘दो-तिहाई बहुमत नहीं है।’’
मंगलवार को, नेता प्रतिपक्ष और भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी द्वारा सदन में प्रस्ताव का विरोध किये जाने के बाद भाजपा विधायकों ने बहिर्गमन किया। बाद में मंत्री शोभनदेव चटोपाध्याय द्वारा जवाब दिये जाने के बाद ध्वनि मत से प्रस्ताव को पारित कर दिया गया।
लोकसभा ने 28 नवंबर को वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही संसद की संयुक्त समिति का कार्यकाल अगले साल बजट सत्र के आखिरी दिन तक के लिए बढ़ाने को मंजूरी दी थी।
समिति के अध्यक्ष जगदम्बिका पाल ने वक्फ (संशोधन) विधेयक संबंधी संसद की संयुक्त समिति का प्रतिवेदन प्रस्तुत करने का समय बजट सत्र, 2025 के आखिरी दिन तक बढ़ाने का प्रस्ताव सदन में पेश किया, जिसे ध्वनिमत से स्वीकृति प्रदान की गई थी।
सरकार ने वक्फ बोर्ड को नियंत्रित करने वाले कानून में संशोधन से संबंधित विधेयक गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया था जिसे सत्तापक्ष एवं विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक एवं चर्चा के बाद संयुक्त समिति को भेजने का फैसला किया गया था।
इस विधेयक में वर्तमान अधिनियम में दूरगामी बदलावों का प्रस्ताव किया गया है, जिनमें वक्फ बोर्ड में मुस्लिम महिलाओं और गैर मुसलमानों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना भी शामिल है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर ‘एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तीकरण, दक्षता और विकास अधिनियम, 1995’ करने का भी प्रावधान है।