मासिक दुर्गा अष्टमी कब है? जानें तारीख और पूजा विधि…

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):

सनातन धर्म में मासिक दुर्गाष्टमी का खास महत्व माना जाता है।

हर महीने मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत रखा जाता है। शुक्ल पक्ष की अष्टमी का दिन मां दुर्गा को समर्पित होता है।

इस दिन विधिवत मां दुर्गा की पूजा-अर्चना की जाती है। इस महीने 9 दिसम्बर को मासिक दुर्गाष्टमी का पावन पर्व मनाया जाएगा।

इस दिन मां दुर्गा की पूजा करने से जीवन में चल रही दिक्कतें दूर हो सकती हैं। आइए जानते हैं मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा-विधि और शुभ मुहूर्त-

मासिक दुर्गा अष्टमी कब है?

पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि दिसम्बर 08 को सुबह 09:44 मिनट पर प्रारंभ हो जाएगी।

तिथि की समाप्ति दिसम्बर 09 को सुबह 08:02 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के अनुसार, 09 दिसंबर के दिन मासिक दुर्गाष्टमी व्रत रखा जाएगा।

मां दुर्गा पूजा-विधि

1- स्नान आदि कर मंदिर की साफ सफाई करें

2- माता दुर्गा का जलाभिषेक करें

3- मां दुर्गा का पंचामृत सहित गंगाजल से अभिषेक करें

4- अब माता को लाल चंदन, सिंदूर, शृंगार का समान और लाल पुष्प अर्पित करें

5- मंदिर में घी का दीपक प्रज्वलित करें

6- पूरी श्रद्धा के साथ माता दुर्गा की आरती करें

7- माता को भोग लगाएं

8- अंत में क्षमा प्रार्थना करें

दुर्गा जी की आरती

ॐ जय अम्बे गौरी…

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवरी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

मांग सिंदूर विराजत, टीको मृगमद को ।

उज्ज्वल से दोउ नैना, चंद्रवदन नीको ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजै ।

रक्तपुष्प गल माला, कंठन पर साजै ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी ।

सुर-नर-मुनिजन सेवत, तिनके दुखहारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती ।

कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

शुंभ-निशुंभ बिदारे, महिषासुर घाती ।

धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चण्ड-मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे ।

मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

ब्रह्माणी, रूद्राणी, तुम कमला रानी ।

आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

चौंसठ योगिनी मंगल गावत, नृत्य करत भैरों ।

बाजत ताल मृदंगा, अरू बाजत डमरू ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता,

भक्तन की दुख हरता । सुख संपति करता ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

भुजा चार अति शोभित, खडग खप्पर धारी ।

मनवांछित फल पावत, सेवत नर नारी ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती ।

श्रीमालकेतु में राजत, कोटि रतन ज्योती ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

श्री अंबेजी की आरति, जो कोइ नर गावे ।

कहत शिवानंद स्वामी, सुख-संपति पावे ॥

ॐ जय अम्बे गौरी..॥

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी ।

डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार) : whatsaap मेसेज पर संपर्क करें 94064 20131

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