प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
इस साल मार्गशीर्ष अमावस्या को लेकर कंफ्यूजन की स्थिति बनी हुई है।
मार्गशीर्ष अमावस्या इस साल 30 नवंबर को सुबह करीब 9.30 बजे शुरू हो रही हैष और 1 दिसंबर को सुबह 11 बजे समाप्त होगी।
ऐसे में उदया तिथि के अनुसार अमावस्या 1 दिसंबर रविवार को है। पंचांग भेद के कारण दो दिन अमावस्या मनाई जा रही है।
इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करने के साथ ही शनि देव के लिए भी विशेष धर्म-कर्म किए जाते हैं तो कुंडली के शनि दोषों का असर कम हो सकता है। अमावस्या की तारीख को लेकर विभिन्न ज्योतिषियों का अलग-अलग मत है।
तारीख को लेकर मत
ज्योतिषियों का कहना है कि 30 तारीख को पूरे दिन अमावस्या मिल रही है, इसलिए इस गिन 12 बजे पितरों का श्राद्धकर्म किया जा सकता है।
इसके अलावा 1 दिसंबर को अमावस्या सिर्फ 11 बजे तक है, इसलिए इस दिन सुबह स्नान और दान किया जा सकता है।
जो 30 नवंबर को नहीं किया जा सकता, क्योंकि इस दिन अमावस्या 9.30 बजे से शुरू हो रही है। इस दिन पितरों के लिए धूप-ध्यान करने से पितृदोषों का असर कम हो सकता है।
अमावस्या के उपाय
अमावस्या के दिन लौटे में दूध भरकर इसमें काले तिल और चावल डालकर सूर्य भगवान को अर्पित करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
इसके अलावा इस दिन सूर्य भगवान की पूजा के लिए लोटे में जल भरें और जल में चावल, कुमकुम, फूल डालें। इसके बाद सूर्य मंत्र ऊँ सूर्याय नम: का जप करते हुए सूर्य को जल अर्पित करें।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य है और सटीक है। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।