अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को अपने कार्यकाल के आखिरी दिनों में बड़ी सफलता मिली है।
उन्होंने पिछले 10 महीनों से लेबनान में सक्रिय उग्रवादी संगठन हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच जंग रुकवा दी है।
दोनों पक्षों के बीच सीजफायर को लेकर समझौता हो गया है, जो आज सुबह से लागू है। इस डील में अमेरिका और फ्रांस शामिल थे।
सीजफायर को लेकर हुई मीटिंग में लेबनान की सरकार के मंत्री शामिल थे, लेकिन हिजबुल्लाह का कोई प्रतिनिधि नहीं था।
सीजफायर को लेकर इजरायल ने एक चीज साफ कर दी है कि हिजबुल्लाह ने यदि समझौता तोड़ा तो फिर वह घुसकर हमला करेगा और कोई रियायत नहीं की जाएगी।
बेंजामिन नेतन्याहू सरकार का कहना है कि हमने यह समझौता इसलिए मान लिया है ताकि ईरान और गाजा पर फोकस किया जा सके।
इजरायल की सुरक्षा कैबिनेट द्वारा 10-1 वोट से समझौते को मंजूरी दिए जाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडेन ने कहा है कि उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती से बातचीत की है।
बाइडेन ने बताया, “यह समझौता अस्थायी रूप से जंग को खत्म करने के लिए बनाया गया था। हिजबुल्लाह और दूसरे आतंकवादी संगठन को इजरायल की सुरक्षा में दखल डालने की इजाजत नहीं दी जाएगी।”
क्या हैं शर्तें?
बाइडेन ने युद्धविराम की शर्तों को लेकर बताया कि लेबनान की सेना जैसे ही इजरायली सीमा के पास के क्षेत्र पर नियंत्रण वापस ले लेगी, इजरायल धीरे-धीरे 60 दिनों में अपनी सेना वापस ले लेगा।
यह सुनिश्चित किया जा जाएगा कि हिजबुल्लाह वहां अपना ठिकाना फिर से न बना सके। उन्होंने कहा, “दोनों तरफ के नागरिक जल्द ही सुरक्षित तरीके से अपने घर में वापस लौट सकेंगे।”
वहीं समझौते पर दस्तखत करने के बाद नेतन्याहू ने कहा है कि वह युद्ध विराम समझौते को लागू करने के लिए तैयार हैं लेकिन हिजबुल्लाह अगर उल्लंघन करेगा तो वह जोरदार तरीके से जवाब देंगे।
नेतन्याहू ने बताई रणनीति
गौरतलब है कि नेतन्याहू को अपनी सरकार के कुछ अंदरूनी लोगों से इस समझौते के लिए विरोध का सामना करना पड़ रहा है।
नेतन्याहू ने कहा कि युद्ध विराम से इजरायल को ईरान और हमास पर ध्यान केंद्रित करने, हथियारों की खेप को फिर से भरने और सेना को आराम देने का मौका मिलेगा।
नेतन्याहू ने कहा, “हम समझौते को लागू करेंगे और किसी भी उल्लंघन का जोरदार तरीके से जवाब देंगे।
हम जीत तक साथ मिलकर काम करते रहेंगे।” नेतन्याहू ने कहा कि हिजबुल्लाह संघर्ष की शुरुआत में जितना कमजोर था उससे कहीं अधिक कमजोर अब है।
उन्होंने कहा, “हमने इसे दशकों पीछे धकेल दिया है और हमारी सीमा के पास सालों से चल रहे आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दिया है।”