सोशल मीडिया के दौर में जरूरी अपडेट्स हासिल करने बेहद आसान तो हो गया है, लेकिन उचित जानकारी की पहचान करना बेहद मुश्किल हो चला है।
इसका ताजा उदाहरण हाल ही में वायरल हो रहा एक फॉर्म है, जिसे ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के नाम पर भरने के लिए कहा जा रहा है।
इतना ही नहीं दावा किया जा रहा है कि लाखों रुपये आर्थिक मदद मिलेगी। हालांकि, जांच में यह दावा झूठा साबित हुआ है।
सोशल मीडिया के दौर में जरूरी अपडेट्स हासिल करने बेहद आसान तो हो गया है, लेकिन उचित जानकारी की पहचान करना बेहद मुश्किल हो चला है।
इसका ताजा उदाहरण हाल ही में वायरल हो रहा एक फॉर्म है, जिसे ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ के नाम पर भरने के लिए कहा जा रहा है। इतना ही नहीं दावा किया जा रहा है कि लाखों रुपये आर्थिक मदद मिलेगी।
हालांकि, जांच में यह दावा झूठा साबित हुआ है।
साथ ही फॉर्म में आवेदक का नाम, पिता का नाम, माता का नाम, जन्म तिथि, फोटो, बैंक खाता नंबर समेत कई जानकारियां मांगी गई हैं।
सच क्या
PIB ने 23 नवंबर शनिवार की पोस्ट में साफ कर दिया है कि सोशल मीडिया पर वायरल किया जा रहा फॉर्म फर्जी है। साथ ही PIB ने कहा, ‘ऐसे किसी भी तरह के फॉर्म का वितरण अवैध है व इस योजना के तहत व इस योजना के तहत किसी भी तरह का नगद प्रोत्साहन नहीं दिया जाता है।’