सैयद जावेद हुसैन (सह संपादक – छत्तीसगढ़):
धमतरी- प्लेसमेंट कर्मचारियों की हड़ताल का असर कहीं शहर के तमाम नागरिकों के स्वास्थ्य पर न पड़ जाए भारी!
मालूम हो कि नगरीय निकाय के तमाम प्लेसमेंट कर्मी बीते 8 दिनों से अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर धरने में डटे हुए हैं। जिसके चलते सफ़ाई से लेकर पेयजल तक की व्यवस्थाएं ठप हो चुकी हैं।
ज्ञात हो कि शहर को पेयजल मुहैया कराने करोड़ों की लागत से फिल्टर प्लांट बनाया गया है जहां से शहर में पेयजल आपूर्ति की जाती है, जहां पर काम करने वाले तमाम कुशल कर्मी इन दिनों हड़ताल में बैठे हैं, जिनमें प्लेसमेंट केमिस्ट एमएससी केमिस्ट्री डिग्रीधारी है तो अन्य कर्मी 15-20 साल के एक्सपीरियंस वाले लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के कुशल कर्मी हैं, इसके साथ ही कुशल इलेक्ट्रिशियन, व प्लंबर हैं जो जल शुद्धिकरण की तमाम महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं का पालन करते हुए शहर के तमाम मोहल्लों के लगभग हर घर तक शुद्ध स्वच्छ पेयजल पहुंचाते हैं।
जल शुद्धिकरण संयंत्र की प्रक्रिया…
महानदी मुख्य नहर से पानी प्लांट के रॉ वाटर टैंक में पहुंचता है, जिसके बाद सेडिमेटेशन टैंक में रासायनिक अभिक्रिया के तहत एलम व ब्लीचिंग पावडर की सही मात्रा से पानी का फिल्टरेशन किया जाता है, जिसकी जांच प्लांट में पदस्थ केमिस्ट के द्वारा रोजाना की जाती है, और रिपोर्ट प्लांट प्रभारी को दी जाती है। इसके बाद पानी आगे बढ़कर क्लियर वाटर टैंक में जमा होता है जिसे फिर सुबह व शाम को सप्लाई किया जाता है।
ये सब महत्वपूर्ण काम करने वाले तमाम कुशल कर्मचारी रोजाना 3 शिफ्ट में काम करते हैं जिनकी संख्या लगभग 20 के क़रीब है, जिनमें से केवल 4 कर्मचारी ही नियमित है बाकी के प्लेसमेंट कर्मचारी हैं जो इन दिनों हड़ताल में बैठे हैं, जिनकी जगह अन्य विभागों के कर्मचारी- भृत्य, चपरासी, स्वच्छता कमांडो, पंप संचालकों को प्लांट संचालन का दायित्व सौंप दिया गया है। जो इस महत्वपूर्ण कार्य में पूरी तरह से अकुशल हैं, इन्हें एलम व ब्लीचिंग पावडर किस मात्रा में मिलाना है ये भी नहीं पता। जिससे प्लांट कार्य व पानी फिल्टरेशन प्रक्रिया पूरी तरह से चरमरा गई है। यहां तक कि नल चालू करने का टाइम भी इन दिनों आगे पीछे हो रहा है, जिससे रहवासी काफी परेशान हो रहे हैं।
इलेक्ट्रिशियन व प्लंबर की भूमिका…
किसी भी फिल्टर प्लांट में इलेक्ट्रिशियन व प्लंबर की बड़ी जिम्मेदारी होती है, जो किसी भी मोटर या मशीन के खराब होने, वायरिंग में शॉट सर्किट होने, ट्रांसफार्मर जल जाने पर तत्काल सुधार काम में जुटकर व्यवस्था बहाल करते हैं, जिससे सप्लाई बाधित न हो, लेकिन हड़ताल की वजह से प्लांट में कोई इलेक्ट्रिशियन व प्लंबर भी नहीं है, यदि कोई गड़बड़ी हुई तो शहरवासियों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ेगा।
विडंबना है कि इस महत्वपूर्ण कार्य में लगे तमाम कुशल कर्मचारी इन दिनों हड़ताल में है जिनके स्थान पर अकुशल नौसिखिए कर्मचारी प्लांट का संचालन कर शहरवासियों की सेहत से खिलवाड़ में लगे हुए हैं, यहां गलती उन अकुशल श्रमिकों की नहीं बल्कि उन्हें इतनी महत्वपूर्ण जिम्मेदारी देने वाले नौकरशाहों, और सफेदपोश नेताओं की है। यदि दूषित पानी की वजह से किसी नागरिक को कोई बीमारी हो जाए तो उसका जिम्मेदार कौन होगा?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पानी फिल्टर की प्रक्रिया में एलम व ब्लीचिंग की सही मात्रा का होना बहुत ही आवश्यक है, ऐसा न होने पर किडनी रोग, डायरिया, पाचन तंत्र समेत अनेक शारीरिक बीमारियों की संभावना काफी बढ़ जाती है।
दूषित पानी से शहर के कुछेक वार्डों से डायरिया के कई गंभीर मामले भी सामने आ चुके हैं।