इस्लाम के नाम पर बना राष्ट्र 25 साल भी एकजुट नहीं रहा, धर्म और राष्ट्रवाद पर क्या बोले इरफान हबीब?…

इतिहासकार और लेखक एस इरफान हबीब ने धर्म को राष्ट्रवाद से जोड़ने पर गहरी चिंता जताई है।

उन्होंने शुक्रवार को कहा कि धर्म को राष्ट्रवाद से जोड़ना बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि ऐसा करने से समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जैसा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश के मामले में देखा गया है।

हबीब नई दिल्ली में मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम में ‘साहित्य आज तक’ कार्यक्रम के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने ‘धर्म और भारतीय राष्ट्रीयता’ सत्र में लेखक रतन शारदा के साथ चर्चा में भाग लिया।

इरफान हबीब ने कहा, ‘धर्म का अपना अलग स्थान है। इसे राष्ट्रवाद से जोड़ना बुद्धिमानी नहीं है क्योंकि अगर आप एक हजार साल का इतिहास देखें तो कई समुदायों ने एक या दो बार अपना धर्म बदला, लेकिन उन्होंने अपनी राष्ट्रीयता नहीं बदली।

अगर आप पिछले 50 सालों पर नजर डालें तो आप पाएंगे कि धर्म के नाम पर हमारे राष्ट्र का विभाजन हुआ।

इस्लाम के नाम पर जो राष्ट्र बना, वह 25 साल भी एक नहीं रह सका।’

‘एक देश में हो सकते हैं कई धर्म’

‘जिहाद ऑर इज्तिहाद: रिलीजियस ऑर्थोडॉक्सी एंड मॉडर्न साइंस इन कंटेम्पररी इस्लाम‘ के लेखक इरफान हबीब हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बांग्लादेश संस्कृति और भाषा के आधार पर विभाजित हैं, जबकि उनका धर्म एक ही है। उन्होंने कहा, ‘एक देश में कई धर्म हो सकते हैं।

अगर आप धर्म के आधार पर देश का निर्माण करते हैं तो आपके सामने ढेर सारी समस्याएं खड़ी होने जा रही हैं।’

इस बीच शारदा ने कहा कि इस्लाम, ईसाई और वैष्णव भले ही अलग-अलग धार्मिक समुदाय हों, लेकिन उन सभी का मानवता के धर्म से संबंध हैं।

भारत में अलग-अलग संप्रदाय और समुदाय हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम सभी का एक ही धर्म है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

× Whatsaap