प्रवीण नांगिया (ज्योतिष सलाहकार):
हर साल में 1 बार उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह व्रत प्रभु विष्णु जी को समर्पित है।
उत्पन्ना एकादशी का व्रत इस साल मार्गशीर्ष मास की कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि पर रखा जाएगा। इस दिन विष्णु भगवान के भक्त जन व्रत रख विधि-विधान के साथ पूजा करते हैं।
एकादशी का व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत के कुछ नियम हैं, जिनका पालन करना अति आवश्यक है। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी के दिन किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है-
उत्पन्ना एकादशी के दिन क्या करें-उत्पन्ना एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त में विष्णु भगवान की पूजा करें।
इस दिन व्रत न रखा हो तो सात्विक भोजन करने की कोशिश करें। व्रत रखने से पूर्व व्रत रखने का संकल्प जरूर लें। व्रत के सभी नियमों का पालन करें। पारण सूर्योदय के पाश्चात्य करना उत्तम रहेगा। इस दिन भजन-कीर्तन भी किया जाता है।
उत्पन्ना एकादशी के दिन क्या न करें?
मास-मदिरा- उत्पन्ना एकादशी के दिन मास-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। इस दिन तामसिक भोजन का सेवन करने से भगवान विष्णु नाराज हो सकते हैं।
चावल- उत्पन्ना एकादशी के दिन चावल का सेवन करने की मनाही है। मान्यता है उत्पन्ना एकादशी के दिन चावल का सेवन करने से दोष लगता है।
तुलसी- तुलसी की पत्तियां विष्णु भगवान को बेहद प्रिय हैं, जिसके बिना भगवान को भोग नहीं लगाया जाता है।
इसलिए उत्पन्ना एकादशी के दिन तुलसी की पत्तियों को न तो स्पर्श करना चाहिए और न ही इन्हें तोड़ना चाहिए। मन्यताओं के अनुसार, इस दिन तुलसी जी व्रत रखती हैं। इसलिए इन्हें सर्ष करने से बचना चाहिए।
काले वस्त्र- धर्मिक मान्यताओं के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी के दिन काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। भगवान विष्णु की कृपा दृष्टि बनाए रखने के लिए इस दिन पीले रंग के वस्त्र धारण करना अत्यंत शुभ रहेगा।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।