प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
उत्पन्ना एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।
पंचांग के अनुसार, 26 नवंबर को मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 1 बजकर 1 मिनट से शुरू हो रही है।
इस तिथि का समापन अगले दिन 27 नवंबर बुधवार को तड़के 3 बजकर 47 मिनट पर होगा। पंडित रामदेव पांडेय के अनुसार, ऐसे में उदयातिथि के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी व्रत 26 नवंबर मंगलवार को है।
पंडित रामदेव पांडेय ने बताया कि इस बार उत्पन्ना एकादशी के दिन 3 शुभ योग बन रहे हैं। व्रत वाले दिन हस्त नक्षत्र है। इस दिन व्रत रखकर भगवान विष्णु और देवी एकादशी की पूजा करने का विधान है।
मान्यता के अनुसार, इस तिथि को देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इसे उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। इस व्रत और पूजा से पाप मिटेंगे, पुण्य और मोक्ष प्राप्त होगा।
3 शुभ योग ज्योतिषाचार्य आचार्य श्रीकृष्ण और चंद्रकांत के अनुसार, इस साल उत्पन्ना एकादशी पर 3 शुभ योगों का निर्माण हो रहा है। प्रीति योग प्रातकाल से शुरू होगा और दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर खत्म होगा।
उसके बाद से आयुष्मान योग बनेगा, जो अगले दिन दोपहर तक रहेगा। एकादशी तिथि में द्विपुष्कर योग 27 नवंबर को प्रात 4 बजकर 35 मिनट से सुबह 6 बजकर 54 मिनट तक है।
उत्पन्ना एकादशी का महत्व
पौराणिक कथा और मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष एकादशी तिथि को मुर राक्षस योग निंद्रा में लीन भगवान विष्णु पर प्रहार करने वाला था, तभी देवी एकादशी प्रकट हुईं और उन्होंने मुर से युद्ध किया और उसका अंत कर दिया।
इस दिन देवी एकादशी की उत्पत्ति हुई, इस वजह से इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा गया। जो लोग एकादशी व्रत का प्रारंभ करना चाहते हैं, वे उत्पन्ना एकादशी से एकादशी व्रत शुरू कर सकते हैं।
भगवान विष्णु की कृपा से पाप मिटते हैं और जीवन के अंत में उनके श्री चरणों में स्थान मिलता है। उत्पन्ना एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है।
उत्पन्ना एकादशी पर मुहूर्त
उत्पन्ना एकादशी पर ब्रह्म मुहूर्त 05.05 बजे से 05.59 बजे तक है। उस दिन का शुभ समय यानी अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 47 मिनट से दोपहर 12 बजकर 29 मिनट तक है।
व्रत के दीप लाभ-उन्नति मुहूर्त सुबह 1049 से दोपहर 1208 बजे तक है। वहीं, अमृत-सर्वोत्तम मुहूर्त दोपहर 12.08 से 01.27 बजे तक है।
व्रत के पारण का समय
पंडित रामदेव पांडेय के अनुसार, उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखते हैं तो आप व्रत का पारण 27 नवंबर दिन बुधवार को दोपहर में 1 बजकर 12 मिनट से 3 बजकर 18 मिनट के बीच कभी भी कर सकते हैं।
उत्पन्ना एकादशी पारण के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 10 बजकर 26 मिनट है।
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