हरियाणा विधानसभा चुनाव हारने के बाद से निशाने पर आए और परिवारवाद और क्षेत्रवाद के आरोपों से घिरे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा का दर्द आज हरियाणा विधानसभा सत्र में छलका।
भाजपा की ओर से लगाए गए आरोपों पर आज हुड्डा ने खुलकर जवाब दिया। हुड्डा ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं ऐसे परिवार में पैदा हुआ हूं, जिसमें मेरे दादा और पिता जी स्वतंत्रता सेनानी रहे। बाबा साहब डा. भीम राव आम्बेडकर के साथ भारत के संविधान पर मेरे पिता स्व. रणबीर सिंह के हस्ताक्षर हैं।
हम लंबे संघर्ष के बाद आज यहां तक पहुंचे हैं। मैं खुद ब्लॉक समिति के चेयरमैन से यहां तक पहुंचा हूं। मेरे परिवार पर भाजपा के लोग बापू-बेटा कहकर टिप्पणी करते हैं लेकिन भाजपा को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
परिवारवाद के मामले में हुड्डा ने कहा कि वह किसी भी नेता के खिलाफ व्यक्तिगत बात नहीं करते हैं लेकिन कुछ नेता तो अपने परिवार को जिला परिषद में भेजना चाहते थे।
हुड्डा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को लेकर कहा कि वह तो अभी नए हैं। मैं तो उनके कार्यकाल को देखना चाहता था लेकिन भाजपा के लोग अनापशनाप बयानबाजी कर रहे हैं।
हुड्डा ने भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मौजूदा समय में हालात बदतर हो चुके हैं। स्कूल में मास्टर नहीं है, अस्पताल में डाक्टर नहीं है और दफ्तर में कर्मचारी नहीं हैं।
किस्मत से सरकार बना पाई भाजपा
चुनावी नतीजों पर टिप्पणी करते हुए हुड्डा ने कहा कि इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों का वोट प्रतिशत लगभग बराबर रहा लेकिन ये भाजपा की किस्मत है कि वो सरकार बनाने में सफल रही, क्योंकि इस बार चुनाव में लोकतंत्र की नहीं बल्कि तंत्र की जीत हुई है।
हुड्डा ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार के दौरान जमकर पेपर लीक और भर्ती घोटाले हुए। खुद भर्ती कमीशन में बैठे लोग नौकरियों को बेचते हैं। एच.पी.एस.सी. के डिप्टी सैक्रेटरी को नवम्बर 2021 को 90 लाख रुपए के साथ पकड़ा गया था। इसके बाद करीब उनके पास से पौने 3 करोड़ रुपए बरामद हुए।
भाजपा सरकार में हर भर्ती बेची गई
हुड्डा ने आरोप लगाया कि साल 2018 में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के ऑफिस में रिजल्ट के साथ छेड़छाड़ के आरोप में 5 लोगों को पकड़ा गया था।
एच.सी.एस. से लेकर ग्रुप-डी तक भाजपा सरकार में हर भर्ती बेची गई। हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान जे.बी.टी. करने वाले हर युवा को नौकरी दी गई जबकि बी.जे.पी. के पूरे कार्यकाल में एक भी जे.बी.टी. भर्ती नहीं हुई। भाजपा सरकार ने कौशल रोजगार निगम को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाकर परचून की दुकान की तरह नौकरियों को बेचा है।
मेरे समय एक इंच जमीन का जबरन अधिग्रहण नहीं हुआ
हुड्डा ने दावा किया कि भाजपा कांग्रेस पर किसानों की जमीन सस्ते रेट में अधिग्रहण का आरोप लगाती है जबकि कांग्रेस सरकार के समय में हरियाणा और पूरे देश में भूमि अधिग्रहण की किसान हितैषी पॉलिसी लागू की गई थी। हमने पूरे प्रदेश के जमीन के फ्लोर रेट लागू किए थे।
इससे पहले इनैलो और भाजपा ने मिलकर किसानों को जमीन अधिग्रहण के नाम पर खूब लूटा था। कांग्रेस ने नियम लागू करवाया था कि जमीन अधिग्रहण पर 33 साल रॉयलटी दी जाएगी लेकिन भाजपा ने किसानों को वह भी नहीं दी।
हुड्डा ने के.एम.पी. जमीन अधिग्रहण का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा वाले किसानों को 140 करोड़ रुपए दे रहे थे, जबकि हमने उसी जमीन के 640 करोड़ रुपए मुआवजा दिया।
उन्होंने कहा कि मेरठ से राजस्थान जाने वाले नैशनल हाईवे को भी भाजपा ने कैंसिल करवा दिया और दादूपुर नलवी परियोजना को बंद कर दिया क्योंकि भाजपा किसानों को अधिग्रहण की उचित राशि नहीं देना चाहती थी।
पहले अपनी गलती देखें भाजपा… हरियाणा में बापू-बेटा कमेंट पर भूपिंदर सिंह हुड्डा ने जताया दर्द…
हरियाणा विधानसभा चुनाव हारने के बाद से निशाने पर आए और परिवारवाद और क्षेत्रवाद के आरोपों से घिरे हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा का दर्द आज हरियाणा विधानसभा सत्र में छलका।
भाजपा की ओर से लगाए गए आरोपों पर आज हुड्डा ने खुलकर जवाब दिया। हुड्डा ने कहा कि मुझे गर्व है कि मैं ऐसे परिवार में पैदा हुआ हूं, जिसमें मेरे दादा और पिता जी स्वतंत्रता सेनानी रहे। बाबा साहब डा. भीम राव आम्बेडकर के साथ भारत के संविधान पर मेरे पिता स्व. रणबीर सिंह के हस्ताक्षर हैं।
हम लंबे संघर्ष के बाद आज यहां तक पहुंचे हैं। मैं खुद ब्लॉक समिति के चेयरमैन से यहां तक पहुंचा हूं। मेरे परिवार पर भाजपा के लोग बापू-बेटा कहकर टिप्पणी करते हैं लेकिन भाजपा को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
परिवारवाद के मामले में हुड्डा ने कहा कि वह किसी भी नेता के खिलाफ व्यक्तिगत बात नहीं करते हैं लेकिन कुछ नेता तो अपने परिवार को जिला परिषद में भेजना चाहते थे।
हुड्डा ने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को लेकर कहा कि वह तो अभी नए हैं। मैं तो उनके कार्यकाल को देखना चाहता था लेकिन भाजपा के लोग अनापशनाप बयानबाजी कर रहे हैं।
हुड्डा ने भाजपा सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि मौजूदा समय में हालात बदतर हो चुके हैं। स्कूल में मास्टर नहीं है, अस्पताल में डाक्टर नहीं है और दफ्तर में कर्मचारी नहीं हैं।
किस्मत से सरकार बना पाई भाजपा
चुनावी नतीजों पर टिप्पणी करते हुए हुड्डा ने कहा कि इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों का वोट प्रतिशत लगभग बराबर रहा लेकिन ये भाजपा की किस्मत है कि वो सरकार बनाने में सफल रही, क्योंकि इस बार चुनाव में लोकतंत्र की नहीं बल्कि तंत्र की जीत हुई है।
हुड्डा ने आरोप लगाते हुए कहा कि भाजपा सरकार के दौरान जमकर पेपर लीक और भर्ती घोटाले हुए। खुद भर्ती कमीशन में बैठे लोग नौकरियों को बेचते हैं। एच.पी.एस.सी. के डिप्टी सैक्रेटरी को नवम्बर 2021 को 90 लाख रुपए के साथ पकड़ा गया था। इसके बाद करीब उनके पास से पौने 3 करोड़ रुपए बरामद हुए।
भाजपा सरकार में हर भर्ती बेची गई
हुड्डा ने आरोप लगाया कि साल 2018 में हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के ऑफिस में रिजल्ट के साथ छेड़छाड़ के आरोप में 5 लोगों को पकड़ा गया था।
एच.सी.एस. से लेकर ग्रुप-डी तक भाजपा सरकार में हर भर्ती बेची गई। हुड्डा ने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान जे.बी.टी. करने वाले हर युवा को नौकरी दी गई जबकि बी.जे.पी. के पूरे कार्यकाल में एक भी जे.बी.टी. भर्ती नहीं हुई। भाजपा सरकार ने कौशल रोजगार निगम को भ्रष्टाचार का अड्डा बनाकर परचून की दुकान की तरह नौकरियों को बेचा है।
मेरे समय एक इंच जमीन का जबरन अधिग्रहण नहीं हुआ
हुड्डा ने दावा किया कि भाजपा कांग्रेस पर किसानों की जमीन सस्ते रेट में अधिग्रहण का आरोप लगाती है जबकि कांग्रेस सरकार के समय में हरियाणा और पूरे देश में भूमि अधिग्रहण की किसान हितैषी पॉलिसी लागू की गई थी। हमने पूरे प्रदेश के जमीन के फ्लोर रेट लागू किए थे।
इससे पहले इनैलो और भाजपा ने मिलकर किसानों को जमीन अधिग्रहण के नाम पर खूब लूटा था। कांग्रेस ने नियम लागू करवाया था कि जमीन अधिग्रहण पर 33 साल रॉयलटी दी जाएगी लेकिन भाजपा ने किसानों को वह भी नहीं दी।
हुड्डा ने के.एम.पी. जमीन अधिग्रहण का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा वाले किसानों को 140 करोड़ रुपए दे रहे थे, जबकि हमने उसी जमीन के 640 करोड़ रुपए मुआवजा दिया।
उन्होंने कहा कि मेरठ से राजस्थान जाने वाले नैशनल हाईवे को भी भाजपा ने कैंसिल करवा दिया और दादूपुर नलवी परियोजना को बंद कर दिया क्योंकि भाजपा किसानों को अधिग्रहण की उचित राशि नहीं देना चाहती थी।