हिजबुल्लाह पर हुए पेजर हमले को लेकर इजरायल की तरफ से पहली बार सार्वजनिक तौर पर कहा गया है कि हमले की मंजूरी प्रधानमंत्री कार्यालय से दी गई थी।
रविवार को इजरायली प्रधानमंत्री ने खुले तौर पर स्वीकार किया कि उन्होंने सितंबर में हिजबुल्लाह पर हुए पेजर अटैक को मंजूरी दी थी, जिसके बाद पूरे लेबनान में सैकड़ों पैजर और वॉकी-टॉकी फट गए थे।
इस हमले में हिजबुल्लाह के करीब 40 से ज्यादा लड़ाकों और सहयोगियों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी, जबकि लगभग 3 हजार से ज्यादा लोग घायल हो गए थे।
सितंबर में संचार उपकरणों में हुए धमाकों के बाद हिजबुल्लाह ने इजरायल पर ही इस हमले का इल्जाम लगाया था लेकिन तब इजरायल ने इस हमले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया था।
ईरान समर्थित हिजबुल्लाह के लिए यह हमला उसकी कमर को तोड़ देने वाला था क्योंकि संचार के लिए पेजर ही उसका मुख्य साधन थे।
ऐसे में जब पेजरों में विस्फोट होने लगे तो पूरे में अफरा तफरी मच गई। हिजबुल्लाह ने इसके लिए इजरायल से बदला लेने की कसम खाई थी।
नेतन्याहू के प्रवक्ता ओमर दोस्तरी ने हमलों के बारे में समाचार एजेंसी एएफपी से बात करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने रविवार को इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने ही लेबनान में पेजर ऑपेरशन को हरी झंडी दी थी।
पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास द्वारा इजरायल पर किए गए हमले के बाद जब इजरायल ने जवाबी कार्रवाई की तो लेबनान से हिजबुल्लाह ने लगातार इजरायल पर रॉकेट और ड्रोन्स के जरिए हमला किया।
इसके जवाब में इजरायल ने पेजर अटैक का सहारा लिया, जिससे हिजबुल्लाह का पूरा संचार तंत्र तबाह हो गया। इजरायल की टेक्नोलॉजी को ध्यान में रखते हुए हिजबुल्लाह पहले ही मोबाइल और आधुनिक उपकरणों का उपयोग ना करके पेजर और वॉकी-टॉकी का उपयोग करता था।
इनमें धमाकों के बाद हिजबुल्लाह और कमजोर हो गया, इसका परिणाम यह हुआ कि अपनी खुफिया जानकारी की मदद से संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण के ठीक बाद नेतन्याहू ने हिजबुल्लाह चीफ को मार गिराने का आदेश दे दिया।
पहले से ही तैयार बैठी इजरायली सेना ने एक ही हमले में चीफ नसरल्लाह को मौत की नींद सुला दिया।