सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ रविवार को रिटायर हो रहे हैं। शुक्रवार को उनका लास्ट वर्किंग डे था, जहां पर उन्होंने फेयरवेल स्पीच दी।
इस दौरान, सीजेआई ने अपने पिता द्वारा सालों पहले पुणे के एक फ्लैट को लेकर कही गई बात से सभी को रूबरू करवाया।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उनके पिता ने पुणे में एक छोटा सा फ्लैट खरीदा था। मैंने जब उनसे पूछा कि आप पुणे में क्यों फ्लैट खरीद रहे हैं? वहां कब आप रहने जाएंगे? इस पर उन्होंने मुझसे कहा कि मुझे पता है कि मैं वहां कभी भी नहीं रहूंगा।
इसके साथ ही, मुझे यह भी नहीं मालूम कि मैं तुम्हारे साथ कब तक हूं, लेकिन इस फ्लैट को तुम जज के पद पर रहने के आखिरी समय तक (रिटायरमेंट) इसे अपने पास रखना।
सीजेआई चंद्रचूड़ ने पिता की बात को आगे बताते हुए कहा, ”इस पर मैंने उनसे पूछा कि ऐसा क्यों कह रहे? तब उन्होंने जवाब दिया कि अगर तुम्हें कभी लगे कि तुम्हारी नैतिक ईमानदारी या बौद्धिक ईमानदारी से समझौता किया जा रहा है, तो सोच लेना कि तुम्हारे सिर के ऊपर छत है।
कभी भी खुद को वकील या जज के तौर पर समझौता करने की अनुमति न देना।” मुख्य न्यायाधीश ने बताया कि उनके पिता बहुत अनुशासित थे।
उन्होंने कहा, ”लेकिन उन्होंने हमें बच्चों के रूप में अनुशासित नहीं किया। उन्होंने सोचा कि जिस तरह से उन्होंने अनुशासित जीवन जिया, उसे देखते हुए हमें अनुशासन के आदर्शों को सीखना चाहिए।”
अपने भाषण में सीजेआई ने मां को भी याद किया और बताया कि मैं बचपन में बहुत बीमार रहता था और मेरे बीमार पड़ने की काफी संभावनाएं बनी रहती थीं।
मेरी देखभाल के लिए मेरी मां पूरी रात जगती थीं, ताकि मैं पूरी तरह से स्वस्थ हो जाऊं। मुझे उनकी बात याद है जिसमें वह कहती थीं कि दवा गंगा की तरह है और डॉक्टर नारायण (भगवान) की स्थिति में हैं।
जब मैं बड़ा हो रहा था तब उन्होंने कहा था कि मैंने तुम्हारा नाम धनंजय रखा, लेकिन इसमें धन भौतिक संपदा नहीं है, बल्कि मैं चाहती हूं कि तुम ज्ञान अर्जित करो।
बता दें कि सीजेआई चंद्रचूड़ की मां प्रभा चंद्रचूड़ ऑल इंडिया रेडियो में क्लासिकल म्यूजिशियन थीं।