प्रियंका प्रसाद (ज्योतिष सलाहकार):
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी का पर्व मनाया जाएगा।
इस दिन आंवले के वृक्ष का पूजन-अर्चना परिक्रमा व ब्राह्मणों को भोजन व दान देने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अक्षय नवमी से द्वापर युग का आरंभ माना जाता है। इस दिन आंवले के वृक्ष का पूजन करने से भगवान विष्णु और शिव की कृपा प्राप्त होती है।
पद्म पुराण के अनुसार, आंवला भगवान विष्णु का प्रतीक माना गया है और इसकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए जानते हैं, अक्षय नवमी का शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि-
अक्षय नवमी तिथि शुभ मुहुर्त:आचार्य पं. महेश मिश्र के अनुसार, गणेश आपा पंचाङ्ग के अनुसार, अक्षय नवमी तिथी का शुभारम्भ 9 नवंबर शनिवार शाम 5 बजकर 52 से शुरू होकर समापन 10 नवम्बर रविवार को 4 बजे तक होगा।
पौराणिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु ने कुष्मांड नामक दैत्य का वध कर धरती पर धर्म की स्थापना की थी। इसी दिन श्रीकृष्ण ने कंस का वध करने से पूर्व वृंदावन की परिक्रमा की थी।
इसलिए अक्षय नवमी के दिन श्रद्धालु भक्त अयोध्या व मथुरा की परिक्रमा करते हैं। जो सनातन धर्मावल्म्बी भक्त अयोध्या न जा सकें वह अपने नजदीक पवित्र नदी या सरोवर में स्नान-दान करआंवले के वृक्ष के पास जाकर सफाई करें।
कैसे करें आंवले के पेड़ की पूजा:हल्दी, चावल, कुमकुम या सिंदूर से आंवले के वृक्ष की पूजा करें। सायंकाल में घी का दीपक जलाकर आंवले के वृक्ष की सात परिक्रमा करें।
इसके बाद खीर, पूरी और मिष्ठान का भोग लगाएं। पूजा के बाद प्रसाद बांटें और वृक्ष के नीचे भोजन करना विशेष पुण्यदायक माना जाता है।
अक्षय नवमी के दिन पितरों के निमित्त अन्न, वस्त्र, और कंबल का दान करना चाहिए। इस दिन किए गए पुण्य कर्म का फल अनंत गुना मिलता है।
डिस्क्लेमर: इस आलेख में दी गई जानकारियों पर हम यह दावा नहीं करते कि ये पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। विस्तृत और अधिक जानकारी के लिए संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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