कनाडा के ब्रैम्पटन शहर में इस हफ्ते हिंदू सभा मंदिर के बाहर भक्तों और खालिस्तानी समर्थकों के बीच झड़पों के बाद शहर में हिंसा की आशंका बढ़ गई है।
स्थानीय रिपोर्टों के अनुसार, लगभग 7.5 लाख जनसंख्या वाले इस शहर में चौथाई लोग सिख हैं, जबकि हर पांच में से एक निवासी हिंदू समुदाय से है।
दोनों समुदाय लंबे समय से साथ-साथ रहते आ रहे हैं, लेकिन हालिया घटनाओं ने उनके बीच तनाव को बढ़ा दिया है।
कनाडाई वेबसाइट द ग्लोब एंड मेल की रिपोर्ट के अनुसार, टोरंटो के पियरसन हवाई अड्डे के पास स्थित एक गुरुद्वारे के बाहर तलवारों, बेसबॉल बैट्स और लकड़ी के टुकड़ों से लैस पुरुष पूरी रात जागकर पहला दे रहे हैं और आसपास की निगरानी कर रहे हैं। इस बीच, गुरुद्वारे की प्रार्थनाओं के साथ एक पिकअप ट्रक से पंजाबी संगीत भी गूंज रहा है।
गुरुद्वारा प्रबंधन ने किया सतर्क रहने का आह्वान
मिसिसॉगा स्थित श्री गुरु सिंह सभा मलटन गुरुद्वारे ने “हमें तैयार रहना होगा” कहते हुए सतर्कता बरतने की बात कही है। बता दें कि हाल ही में कनाडा की रॉयल कैनेडियन माउंटेड पुलिस ने भारतीय सरकारी अधिकारियों पर हत्याओं, जबरन वसूली और अन्य हिंसक अपराधों में भूमिका होने का दावा किया था।
भारत ने इन आरोपों को “प्रेरित और बेतुका” करार देते हुए खारिज किया है और अपने उच्चायुक्त को वापस बुलाते हुए छह कनाडाई राजनयिकों को देश से निष्कासित कर दिया है।
ब्रैम्पटन में मंदिर के बाहर हुए झगड़ों के कारण नगरपालिका नेता उपासना स्थलों पर विरोध प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगाने के लिए नए कानूनों पर विचार कर रहे हैं। सरे में भी हिंसा के दौरान तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया, जब सैकड़ों प्रदर्शनकारी एक हिंदू मंदिर के बाहर एकत्र हुए थे।
हिंदू समुदाय में असुरक्षा की भावना
35 वर्षीय आईटी सलाहकार अरविंद मिश्रा चार साल पहले भारत से कनाडा शिफ्ट हुए थे। उन्होंने हिंदू मंदिर पर हमले की घटना के बाद असुरक्षित महसूस करने की बात कही।
उन्होंने कहा, “हिंदू समुदाय काफी परेशान, उत्तेजित और गुस्से में है। हम खुद को हाशिये पर महसूस कर रहे हैं।” मिश्रा ने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की सरकार पर खालिस्तानी भावनाओं को खुलकर बढ़ावा देने का आरोप लगाया।
मंदिर के बाहर रविवार को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के आयोजक इंद्रजीत सिंह घोषाल ने दावा किया, “यह कोई धार्मिक लड़ाई नहीं है।
यह सिखों और हिंदुओं के बीच की लड़ाई नहीं है। यह किसी पूजा स्थल पर हमला करने का प्रयास नहीं था। हम वहां केवल भारत सरकार के अधिकारियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने आए थे।”
इस हमले के जवाब में रविवार की रात को, 300 से ज्यादा भारत समर्थक प्रदर्शनकारी, जिनमें से कुछ नकाबपोश और बल्ले से लैस थे, वे पास के माल्टन गुरुद्वारे में एकत्र हुए। माना जाता है कि गुरुद्वारे के खालिस्तानी चरमपंथियों से मजबूत संबंध हैं।
कनाडाई वेबसाइट ने दावा किया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों की एक बड़ी भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश की, जिनमें से कुछ भारतीय झंडे में लिपटे हुए थे, जिन्होंने हिंदू सभा मंदिर के सामने सड़क पर कब्जा कर लिया और वाहनों को लात मारते हुए देखे गए।
तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। जस्टिन ट्रूडो द्वारा खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय सरकारी एजेंटों की भूमिका का आरोप लगाने के बाद से भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध खराब हो गए हैं। निज्जर को 18 जून, 2023 को सरे में गोली मार दी गई थी।
द्विपक्षीय संबंधों में खटास, विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएं
भारत और कनाडा के बीच राजनयिक संबंध तब से तनावपूर्ण हैं जब से जस्टिन ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियों का हाथ होने का आरोप लगाया। कनाडा की कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पियरे पोइलीवर ने ट्रूडो पर ब्रैम्पटन में हुए हिंसक झगड़ों के लिए “विभाजन के बीज बोने” का आरोप लगाया है।
इसके साथ ही लिबरल सांसद चंद्र आर्य ने कहा कि यह प्रदर्शन खालिस्तानी अलगाववाद की बढ़ती ताकत को दर्शाते हैं। इस तनावपूर्ण माहौल में कनाडा में भारतीय समुदाय के लिए असुरक्षा की भावना और दोनों देशों के बीच बिगड़ते राजनयिक संबंध दोनों ही गंभीर चिंताओं का विषय बने हुए हैं।